नई दिल्ली, 7 जुलाई (आईएएनएस)। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के विधायक अख्तरुल ईमान ने सोमवार को बिहार चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर सवाल उठाया।
एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के इशारे पर यह हो रहा है, जो बहुत ही खतरनाक बात है। एक लोकतांत्रिक प्रदेश में कोई पार्टी चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर रही है। मतदाता सूची का पुनरीक्षण कराना चुनाव आयोग का तुगलकी फरमान है। बिहार में 2000 तक सिर्फ 3.7 प्रतिशत लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र था। 2004 में 11.5 प्रतिशत और 2005 में 16.9 प्रतिशत लोगों के पास यह था। सबसे कम पढ़े-लिखे लोग और पलायित मजदूरों की संख्या बिहार में ज्यादा है और यहां पर लोगों से यह कागजात मांगे जा रहे हैं। लोगों को उनके वोट से वंचित रखना बहुत बड़ी समस्या है।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने और बिहार से इसकी शुरुआत करने वाले बयान पर एआईएमआईएम विधायक ने कहा, अगर यही बात कोई मुस्लिम बोलता, तो उसे जेल में डाल दिया जाता। उस पर देशद्रोही और संविधान के विरुद्ध काम करने का मुकदमा दर्ज हो जाता। ऐसे में क्या इस मुल्क में सभी के लिए कानून बराबर है? क्या बिहार में कानून का यही राज है कि एक लोकतांत्रिक राज्य में कोई ऐसा बयान दे?
लालू यादव को पत्र लिखकर महागठबंधन में एआईएमआईएम को शामिल करके साथ चुनाव लड़ने को लेकर मनोज झा की प्रतिक्रिया पर ईमान ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, मनोज झा से पूछना चाहिए कि अगर वो समाज की सेवा करना चाहते हैं, या फिर समाज को उपदेश देना चाहते हैं, तो वो पहले से ही प्रोफेसर थे, बिना राज्यसभा का सदस्य बने भी यह काम कर सकते हैं। दूसरों को उपदेश देना बहुत ही आसान काम है, लेकिन अपने गिरेबान में झांकना मुश्किल है। हालांकि हमने चिट्ठी मनोज झा को नहीं बल्कि लालू यादव को दिया था।
बिहार में एआईएमआईएम के अकेले चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा, अगर इंसान मंजिल पर पहुंचने की तैयारी कर लेता है, ऐसे में अगर एक गाड़ी छूट भी जाती है, तो दूसरी गाड़ी उनके लिए रहती है।
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