बिहार मतदाता पुनरीक्षण पर घमासान, विपक्षी सांसदों ने उठाए कई सवाल

बिहार मतदाता पुनरीक्षण पर घमासान, विपक्षी सांसदों ने उठाए कई सवाल

बिहार मतदाता पुनरीक्षण पर घमासान, विपक्षी सांसदों ने उठाए कई सवाल

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IANS
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New Delhi : Monsoon Session of Parliament (Lok Sabha)

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 23 जुलाई (आईएएनएस)। संसद के मानसून सत्र में बिहार मतदाता पुनरीक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है। इसे लेकर विपक्षी दलों के सांसदों ने कई सारे सवाल उठाए हैं। इस बीच कांग्रेस सासंद कार्ति चिदंबरम ने बिहार में हो रहे एसआईआर को क्रो कानून करार दिया है।

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कांग्रेस के लोकसभा सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा, मैंने पहले ही कहा है कि यह कानून जिम क्रो जैसे कानूनों का एक समूह है। जिम क्रो कानून अमेरिका में अलगाववाद के दौर में लागू किए गए थे, जिनका उद्देश्य अश्वेत लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित करना था। मेरा मानना है कि इन कानूनों का उपयोग अल्पसंख्यकों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को निशाना बनाने और उन्हें वोट देने के अधिकार से रोकने के लिए किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ये कानून बिल्कुल उसी तरह के हैं, जैसे अमेरिका में अलगाववाद के समय लागू जिम क्रो कानून थे। प्रत्येक नागरिक को वोट देने का सार्वभौमिक अधिकार मिलना चाहिए। मैं यह नहीं कह रहा कि चुनावी प्रक्रिया में सुधार या जांच नहीं होनी चाहिए, लेकिन इन कानूनों का समय और मकसद बहुत संदिग्ध लगता है। अगर हम बिहार के पिछले चुनाव परिणामों पर नजर डालें, तो कई सीमांत निर्वाचन क्षेत्र थे। इन क्षेत्रों में अगर किसी भी तरह का विभाजन होता है, जहां विपक्ष ने जीत हासिल की थी, तो यह पूरे चुनावी नतीजों को बदल सकता है। इससे आगामी बिहार चुनाव निष्पक्ष नहीं रह जाएगा।

टीएमसी की राज्यसभा सांसद डोला सेन ने कहा, जो कुछ भी गैरकानूनी या असंवैधानिक है, उसे हर किसी को मानना होगा, चाहे वह सत्ताधारी पक्ष हो या कोई और। अंतिम फैसला जनता और संविधान करेंगे। बिहार हो, बंगाल हो या पूरा भारत, जनता की आवाज ही अंतिम होगी।

उन्होंने कहा, हमें जनता पर भरोसा है। जनता अंतिम शब्द कहेगी और हमें अपने संविधान पर भी पूरा विश्वास है। हमारा संविधान अंतिम निर्णय देगा। विपक्ष और सत्ताधारी पार्टियों को जनता से जुड़े मुद्दों को संसद में उठाना चाहिए, न कि सड़कों पर। अगर वे रचनात्मक बहस करना चाहते हैं, तो सबसे महत्वपूर्ण मंदिर हमारी संसद है। विरोध करना और हंगामा करना देशहित में नहीं है।

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक सिंघवी ने कहा, एसआईआर (विशेष गहन संशोधन) एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। मैं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश हो रहा हूं, इसलिए मैं इस पर ज्यादा नहीं कहूंगा। अगर आप सिर्फ कागजी दस्तावेजों के आधार पर कहते हैं कि सभी लोगों का नामांकन हो गया है, तो यह सही नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि 4 प्रतिशत, कुछ 8 प्रतिशत, और अगर सही अनुमान लगाया जाए तो 12 प्रतिशत लोग मतदाता सूची से बाहर कर दिए गए हैं।

उन्होंने आगे कहा, यदि हम बीच का आंकड़ा 8 प्रतिशत भी मानें, तो 8 करोड़ की आबादी में से 8 प्रतिशत यानी लगभग 64 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। यह कोई मजाक की बात नहीं है। यह हमारे गणतंत्र के खिलाफ है।

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा, चुनाव आयोग जो कर रहा है, वो पूरी तरह से गलत है। चुनाव आयोग को नागरिकता की जांच का कोई अधिकार ही नहीं है। अगर नागरिकता पर कोई सवाल है, तो वह गृह मंत्रालय का काम है। 20-20 साल से रजिस्टरर्ड वोटर्स हैं। उनको आप कह रहे हो कि आप प्रमाणित करो कि आप नागरिक हो। यह तो अरुचिकर लग रहा है।

--आईएएनएस

वीकेयू/एबीएम

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
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