बिहार को लेकर कांग्रेस का इतिहास दागदार: राजीव रंजन

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बिहार को लेकर कांग्रेस का इतिहास दागदार: राजीव रंजन

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IANS
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बिहार को लेकर कांग्रेस पार्टी का अतीत दागदार रहा है: राजीव रंजन

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

पटना, 6 सितंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने बिहार के लोगों पर अपनी टिप्पणी से एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। भाजपा ने उनकी तीखी आलोचना की है और उन पर सामंती मानसिकता दिखाने का आरोप लगाया है। सुप्रिया श्रीनेत के बयान पर पलटवार करते हुए जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का अतीत बिहार को लेकर दागदार रहा है।

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बता दें कि भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय की ओर से एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो में, श्रीनेत कहती हैं, बिहार में लोगों को बहुत पसीना आ रहा है और उनके कपड़े साफ नहीं दिख रहे हैं, फिर भी वह (राहुल गांधी) उन्हें गले लगा रहे हैं और उनके सिर चूम रहे हैं। ऐसा व्यक्ति कभी दिखावा नहीं कर सकता। कोई डर सकता है कि उन्हें संक्रमण हो जाएगा, लेकिन वह किसी से हाथ मिलाने के बाद अपने हाथ भी नहीं धो रहे हैं।

जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने आईएएनएस से बातचीत में कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के बयान को बिहारियों का अपमान बताया है। उन्होंने कांग्रेस की मानसिकता पर सवाल उठाया और कहा कि कांग्रेस का बिहार के प्रति इतिहास दागदार रहा है।

उन्होंने कांग्रेस नेताओं द्वारा बिहार के लोगों के खिलाफ पहले भी दिए गए विवादास्पद बयानों का जिक्र किया, जैसे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का बयान, जिसमें प्रियंका गांधी वाड्रा ने तालियां बजाई थीं और हाल ही में केरल कांग्रेस की ओर से बीड़ी की तुलना बिहार से करने पर।

जदयू प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रिया श्रीनेत का बयान इस तरह की टिप्पणियों की श्रृंखला में एक और कड़ी है, जो कांग्रेस की बौखलाहट को दर्शाता है।

उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनता अब कांग्रेस को घास डालने को तैयार नहीं है और यह बयानबाजी बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हताशा और हार की आशंका को उजागर करती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर जदयू प्रवक्ता ने कहा कि देखिए, यह भारत-अमेरिकी रिश्ता दोनों ही पक्षों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस मुकाम तक भारत और अमेरिका को आने में दशकों तक काफी निवेश करना पड़ा है। इसलिए इन रिश्तों में लचीले रुख की अपेक्षाएं सभी के साथ होती हैं, हमें भी आशावादी होना चाहिए। रिश्तों की गर्माहट फिर से बरकरार हो। निसंदेह हमारी व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारियां और महत्वपूर्ण हो सकेंगी।

--आईएएनएस

डीकेएम/डीएससी

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