नई दिल्ली, 14 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नई दिल्ली में भारत विकास परिषद के 63वें स्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत विकास परिषद का 63वां स्थापना दिवस भारत का विकास भारतीय दृष्टिकोण से चाहने वाले लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण दिन है।
उन्होंने कहा कि कोई भी संस्था अगर 63 साल तक निर्विवाद चलती है तो यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है, परंतु सेवा का काम करने वाली संस्था, सृजन शक्ति का संगठन करने वाली संस्था जब 63 साल चलती है तो इसके पीछे काफी तपस्वियों का तप होता है। शाह ने कहा कि किसी व्यक्ति के जीवन में 63 वर्ष बढ़ती उम्र का पड़ाव होता है, परंतु संगठित रूप से काम करने वाली किसी अच्छी संस्था के जीवन में 63 साल युवावस्था होती है।
अमित शाह ने कहा कि जब भारत की आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी, तब भारत विकास परिषद देश के विकास में अपना योगदान देती रहेगी। यह संस्था स्वामी विवेकानंद के जीवन और उनके विचारों को आदर्श मानकर चलती आई है। भारत विकास परिषद ने समर्पण, संगठन और संस्कार के तीन गुणों को संजोकर समाज की सृजन शक्ति का संगठन करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि संगठन शक्ति से सृजित हुई ऊर्जा ने देश के करोड़ों लोगों के जीवन में उजाला लाने का काम किया और ऐसे लोगों के जीवन को स्पर्श किया, जिन्हें समाज की संगठन शक्ति की जरूरत शायद सबसे अधिक है।
शाह ने कहा कि भारत विकास परिषद ने सेवा करने वालों और जिन्हें सेवा की जरूरत है, उनके बीच सेतु के निर्माण का काम किया। भारत विकास परिषद सिर्फ संस्था नहीं, एक विचार है। यह हर भारतीय को भारत के तत्वों के साथ जोड़ने का प्रयास है। अपनी स्थापना के छह दशक बाद भी भारत विकास परिषद उपयुक्तता और प्रासंगिकता के साथ काम कर रही है। इस संस्था ने सेवा को संगठन से, संगठन को संस्कार से और संस्कार को राष्ट्र निर्माण के साथ जोड़ने की अद्भुत कार्य-संस्कृति विकसित की।
उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानी हेमम नीलमणि सिंह को मरणोपरांत सम्मानित किया गया, जिसके लिए वह भारत विकास परिषद को साधुवाद देते हैं। उन्होंने बताया कि हेमम नीलमणि सिंह वर्ष 1944 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आह्वान से प्रेरित होकर आजाद हिंद फौज में शामिल हुए। शाह ने कहा कि जब वह पहली बार मणिपुर गए तो वहां के युवाओं को हिंदी में बात करते देखा। जब उन्होंने युवाओं से पूछा कि वे हिंदी में अच्छी तरह कैसे बात कर लेते हैं तो उन्होंने हेमम नीलमणि सिंह का नाम लिया, जिन्होंने भाषाई एकता के लिए पूरा जीवन काम किया।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के 412 जिलों में 1600 से अधिक भारत विकास परिषद की शाखाएं और 84 हजार से अधिक परिवार इस सेवा कार्य से जुड़े हैं। इसके कार्यकर्ता कभी आपदा में राहत का हाथ बनकर आते हैं तो कभी रोगियों की सहायता के लिए रक्तदान शिविर आयोजित करते हैं, गांव-गांव में संस्कार शिविर का आयोजन करते हैं और कई पाठशालाओं में संस्कार का दीपक जलाते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के सामने भारत को वर्ष 2047 तक पूर्ण विकसित और विश्व में हर क्षेत्र में सर्वप्रथम राष्ट्र बनाने का संकल्प रखा है। इस संकल्प को सिद्ध करने की कार्ययोजना भी है। मोदी ने पांच लक्ष्य सबके सामने रखे हैं, जिनमें विकसित भारत का लक्ष्य, गुलामी के हर अंश से मुक्ति, अपनी विरासत पर गर्व, एकता एवं एकजुटता का भाव और नागरिकों में कर्तव्य की भावना का निर्माण शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत विकास परिषद लंबे समय से इन पांचों लक्ष्यों पर एक सेवक की भांति काम कर रही है।
अमित शाह ने कहा कि मोदी की सरकार ने बीते 11 साल में बड़े बड़े नारे दिए बगैर सेवा भाव और सेवा के संकल्प के साथ चुपचाप एक सेवक की भांति काम किया है। उन्होंने कहा कि मोदी ने औपनिवेशिक विरासत से मुक्ति के लिए ढेर सारे काम किए। राजपथ का नाम कर्तव्य पथ करने से यह करोड़ों नागरिकों को संविधान में बताए गए कर्तव्यों की याद दिलाता है। अंग्रेजी सेना का चिह्न बदलकर जब देश की नौसेना शिवाजी महाराज का चिह्न अपनाती है तो हर भारतीय को गर्व होता है। अंडमान-निकोबार में अंग्रेजों के दिए गए नाम को बदलकर सुभाष द्वीप और शहीद द्वीप नाम दिया गया। रेसकोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग रखा जाना भी बहुत बड़े परिवर्तन का द्योतक है।
शाह ने कहा कि वाम विचारधारा के लोग पूछते हैं कि राम मंदिर बनाने से देश का क्या भला होगा? उन्होंने कहा कि वह समझ रहे हैं कि उन्हें यह समझ नहीं आएगा कि इससे क्या भला होगा, परंतु पीएम मोदी ने राम मंदिर भी बनाया और 5जी लाने का भी काम किया। साथ ही डिजिटल पेमेंट व्यवस्था को भी सब्जी बेचने वाले रेहड़ी तक पहुंचाने का काम किया है।
अमित शाह ने कहा कि एक तरफ काशी, उज्जैन, शारदापीठ में मंदिरों का पुनरोद्धार और करतारपुर कॉरिडोर का निर्माण हुआ है तो दूसरी ओर आईआईएम, आईआईटी और एम्स की संख्या भी तीन गुना ज्यादा कर दी है। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा पर संबल दिया है तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी भारत आज सबसे आगे निकलने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि विरासत को भूले बगैर विकास के आधार पर हम आगे बढ़ें और हमारे सभी स्वतंत्रता सेनानियों की कल्पना के भारत का निर्माण करें। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एवं भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
--आईएएनएस
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