भारत-मालदीव संबंध: मुइज्जू शासन में उतार-चढ़ाव के बावजूद रिश्तों की जड़ें अब भी मजबूत

भारत-मालदीव संबंध: मुइज्जू शासन में उतार-चढ़ाव के बावजूद रिश्तों की जड़ें अब भी मजबूत

भारत-मालदीव संबंध: मुइज्जू शासन में उतार-चढ़ाव के बावजूद रिश्तों की जड़ें अब भी मजबूत

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IANS
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PM Modi Receives Ceremonial Welcome in Maldives

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत और मालदीव के बीच काफी पुराना संबंध है। खासतौर से व्यापार और आर्थिक सहयोग की बात करें तो मालदीव के लिए भारत एक अहम साझेदार है। भारत और मालदीव के बीच पर्यटन के क्षेत्र में बेहद गहरा संबंध है। हालांकि, हाल के कुछ समय में मुइज्जू के शासन में दोनों देशों के बीच के संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। इसका एक कारण चीन भी रहा है। भारत और मालदीव के बीच के संबंध केवल कूटनीतिक ही नहीं, सांस्कृतिक, भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी बेहद गहरे हैं।

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हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित दोनों देशों की नजदीकी उन्हें स्वाभाविक साझेदार बनाती है। मालदीव भारत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक द्वीपीय देश है, जो लक्षद्वीप से लगभग 300 किलोमीटर दूर है। हिंद महासागर में स्थित समुद्री मार्गों की सुरक्षा, समुद्री व्यापार, और क्षेत्रीय स्थिरता में मालदीव की अहम भूमिका है।

भारत लंबे समय से मालदीव की समुद्री सुरक्षा, तटरक्षक सहयोग और आपदा प्रबंधन में मदद करता रहा है। 1988 के तख्तापलट प्रयास से लेकर हाल के प्राकृतिक संकटों तक, भारत ने ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ की भूमिका निभाई है।

सांस्कृतिक संबंधों की बात करें तो, मालदीव में बॉलीवुड फिल्मों और भारतीय गीत-संगीत की काफी लोकप्रियता है। मालदीव की भाषा धिवेही पर संस्कृत और भारतीय भाषाओं का प्रभाव देखा जाता है। वहीं मालदीव में बौद्ध धर्म का प्रभाव भी देखने को मिलता है।

मालदीव में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी काम करते हैं। मालदीव में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और निर्माण जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में भारत के लोग अपना योगदान दे रहे हैं। पर्यटन को लेकर दोनों देशों के बीच गहरा संबंध है। भारत से भारी संख्या में लोग मालदीव पहुंचते हैं। मालदीव की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा योगदान है। ऐसे में भारी संख्या में भारतीयों के वहां जाने से मालदीव की अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलती है। हालांकि, 2024 में जब दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ा, तो मालदीव के पर्यटन पर काफी असर देखने को मिला। मालदीव में भारत के यूपीआई और रुपे कार्ड का इस्तेमाल भी होता है।

भारत मालदीव के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। भारत और मालदीव के बीच 1981 से ही व्यापार समझौते शुरू हो गए थे। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022 में 500 मिलियन डॉलर था। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच ये व्यापार बढ़कर 680 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। इसके अलावा, दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते को लेकर भी चर्चा कर रहे हैं।

भारत से मालदीव को इंजीनियरिंग सामान, दवाइयां, सीमेंट, चावल, गेहूं का आटा, चीनी, दालें, अंडे, आलू, प्याज, फल, सब्जियां, पोल्ट्री उत्पाद, सीमेंट रॉक बोल्डर (पत्थर), प्लास्टिक और लकड़ी का सामान आदि भेजे जाते हैं। वहीं मालदीव से मुख्य रूप से स्क्रैप धातु उत्पादों का आयात होता है।

--आईएएनएस

केके/डीएससी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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