नई दिल्ली, 10 जून (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने हाल ही में संपन्न पांच देशों के विदेश दौरे को लेकर अहम बयान दिया। थरूर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के पांचवें ग्रुप का नेतृत्व कर रहे थे, जिसे सरकार द्वारा भेजा गया था, ताकि पहलगाम में हुई घटना और उसके बाद भारत की प्रतिक्रिया को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जा सके। थरूर ने अपने विदेश दौरे को हर दृष्टिकोण से सफल और सार्थक बताया।
शशि थरूर ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि जिन पांच देशों का प्रतिनिधिमंडल ने दौरा किया, वहां सभी जगह उन्हें सकारात्मक और सम्मानजनक स्वागत मिला। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकातें हुईं और हर स्थान पर भारत के रुख को गंभीरता और सहानुभूति के साथ सुना गया। जिन देशों से बातचीत हुई, उनमें से कई ने भारत द्वारा दिखाई गई संयमित प्रतिक्रिया की प्रशंसा की और कहा कि भारत ने जिस धैर्य के साथ स्थिति को संभाला, वह सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत की राजनीतिक एकता को दर्शाना और दुनियाभर के नीति निर्माताओं, सांसदों, मीडिया, थिंक टैंक और प्रवासी भारतीयों को भारत की स्थिति से अवगत कराना था, जिसमें वह पूरी तरह से सफल रहे। प्रतिनिधिमंडल ने सभी आवश्यक बिंदुओं को प्रमुखता से रखा और उन्हें हर मंच पर सकारात्मक प्रतिक्रिया भी प्राप्त हुई। उन्होंने आगे कहा कि हम थके हुए जरूर हैं, लेकिन संतुष्ट और खुश हैं कि हमने अपने कार्य को अच्छे ढंग से निभाया।
कोलंबिया में हुई बातचीत का जिक्र करते हुए थरूर ने बताया कि वहां की सरकार ने प्रारंभ में पाकिस्तानी पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए एक बयान जारी किया था, जो संदर्भ से बाहर था। लेकिन, जब भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें पूरी स्थिति समझाई, तो उन्होंने अपना बयान तुरंत वापस ले लिया और वहां के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने मीडिया के समक्ष भारत के रुख का समर्थन किया।
थरूर ने आगे कहा कि अमेरिकी सीनेटर जेडी वांस से हुई बैठक भी बेहद सार्थक रही। उन्होंने कहा कि जेडी वांस ने चीन के राष्ट्रपति और जर्मन चांसलर के साथ बैठक के बीच में हमें समय दिया और पूरे 20–25 मिनट तक गंभीर चर्चा की गई।
उन्होंने बताया कि इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अपने सभी बिंदु स्पष्ट रूप से रखे और बदले में उन्हें संतोषजनक प्रतिक्रिया भी प्राप्त हुई। यह दौरा न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत करने वाला रहा, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के बावजूद भारत एकजुट होकर वैश्विक मंचों पर अपनी बात प्रभावी रूप से रख सकता है।
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