बासी आटे से बनी रोटी ग्रहों की शक्ति को करती है कमजोर, जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

बासी आटे से बनी रोटी ग्रहों की शक्ति को करती है कमजोर, जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

बासी आटे से बनी रोटी ग्रहों की शक्ति को करती है कमजोर, जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

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IANS
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बासी आटे से बनी रोटी ग्रहों की शक्ति को करती है कमजोर, जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। हर घर में थाली में शामिल ताजी रोटियों को प्यार का संकेत माना जाता है। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोग रात का आटा गूंथकर फ्रिज में रख देते हैं और सुबह उसी आटे से रोटियां बना लेते हैं। यह तरीका सुविधाजनक जरूर लगता है, लेकिन आयुर्वेद और ज्योतिष की नजर में यह आदत सही नहीं मानी जाती।

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आयुर्वेद के अनुसार, रात भर रखा हुआ आटा हल्का खमीर बनने लगता है, यानी उसकी शुद्धता कम होने लगी है। इसे खाने से शरीर में भारीपन, आलस्य और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। ताजे आटे की रोटी शरीर को ऊर्जा देती है, पाचन को सुधारती है और मन को संतुलित रखती है।

ज्योतिष शास्त्र में रोटियों का खास महत्व है। इसे सूर्य, चंद्रमा और मंगल ग्रह से जोड़ा गया है। सूर्य शक्ति और आत्मबल का प्रतीक है, चंद्रमा भावनाओं और मानसिक शांति का प्रतिनिधि है, जबकि मंगल ऊर्जा और सक्रियता का स्वामी है। जब हम ताजी रोटी खाते हैं, तो इन ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इसके विपरीत बासी आटे से बनी रोटियां ग्रहों की शक्ति को कमजोर कर सकती हैं। ज्योतिष के अनुसार, इससे मन अशांत रहता है, चिंता बढ़ती है और काम में मन नहीं लगता।

हिंदू धर्म में रसोई सिर्फ खाना बनाने का स्थान नहीं, बल्कि घर की सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र मानी गई है। मान्यता है कि रसोई में मां अन्नपूर्णा का वास होता है, जो घर में सुख, शांति और समृद्धि लाती हैं। अगर भोजन बनाने का तरीका और सामग्री ताजी और शुद्ध न हो, तो रसोई की सकारात्मक ऊर्जा कम हो सकती है। यही कारण है कि रोटी और अन्य भोजन हमेशा ताजा बनाए जाने की सलाह दी जाती है।

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन का प्रभाव सिर्फ शरीर पर नहीं पड़ता, बल्कि मन और भावनाओं पर भी होता है। ताजी रोटी हल्की और सुपाच्य होती है, जिससे शरीर में हल्कापन और मन प्रसन्न रहता है। वहीं, रात भर रखा हुआ आटा तामसिक ऊर्जा को बढ़ाता है। तामसिक भोजन खाने से आलस्य, गुस्सा, उदासी और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। इसलिए, आयुर्वेद हमेशा ताजा और संतुलित भोजन करने की ही सलाह देता है।

--आईएएनएस

पीके/पीएसके

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