आयुर्वेद में छिपा है मुंह की दुर्गंध से छुटकारा पाने का रामबाण इलाज, अपनाने होंगे ये चार नियम

आयुर्वेद में छिपा है मुंह की दुर्गंध से छुटकारा पाने का रामबाण इलाज, अपनाने होंगे ये चार नियम

आयुर्वेद में छिपा है मुंह की दुर्गंध से छुटकारा पाने का रामबाण इलाज, अपनाने होंगे ये चार नियम

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IANS
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आयुर्वेद में छिपा है मुंह की दुर्गंध से छुटकारा पाने का रामबाण इलाज, अपनाने होंगे ये चार नियम

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। मुंह में दुर्गंध की समस्या सिर्फ मुंह से जुड़ी नहीं होती, बल्कि इसका गहरा संबंध पेट से भी होता है। पाचन से संबंधी परेशानी होने की वजह से भी मुंह से दुर्गंध आती है। आयुर्वेद में प्राकृतिक उपचार बताए गए हैं, जिन्हें रोजाना अपनाकर दुर्गंध की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

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शरीर में पानी की कमी भी मुंह की दुर्गंध का कारण हो सकती है। आयुर्वेद में मौखिक स्वास्थ्य के लिए चार विधियों का जिक्र किया है, जिनमें दंतधावन (ब्रशिंग), गंडुष (ऑयल पुलिंग), जिह्वा निर्लेखन (जीभ की सफाई) और कावाला (गरारे) जैसी सरल दैनिक क्रिया शामिल हैं।

इन विधियों का पालन करने से मुंह की दुर्गंध दूर होगी, दांतों को मजबूती मिलेगी, मसूड़ों से खून आने की समस्या का निदान होगा और दांतों की चमक भी बरकरार रहेगी।

सबसे पहले दंतधावन (ब्रशिंग) करना चाहिए। आज के समय में सभी प्लास्टिक के ब्रश पर निर्भर हैं। ऐसे में फ्लोराइड से बने टूथपेस्ट का इस्तेमाल ज्यादा करें और धीरे-धीरे दांतों को ब्रश करें।

तेजी से ब्रश करने से मसूड़े कमजोर होते हैं। आयुर्वेद में दांतों को नीम की टहनियों से साफ करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उसमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो दांत के साथ-साथ पेट को भी साफ करते हैं। इसके अलावा हर्बल दंत चूर्ण का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

दंतधावन के बाद गंडुष (ऑयल पुलिंग) करना चाहिए। गंडुष करने से दांतों के कोने में छिपे बैक्टीरिया को भी बाहर किया जा सकता है और प्लाक जमने से भी रोकता है। ऑयल पुलिंग के लिए नारियल का तेल, जैतून का तेल और तिल के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। ध्यान में रखें कि पुलिंग को 2 से 3 मिनट मुंह में रखने के बाद बाहर निकाल दें।

जिह्वा निर्लेखन (जीभ की सफाई) करना भी जरूरी है, क्योंकि ब्रश करने से दांत साफ हो जाते हैं लेकिन जीभ रह जाती है। जीभ पर बहुत सारे बैक्टीरिया जमा होते हैं, जो खाने के बाद जीभ पर चिपक जाते हैं। ऐसे में खुरचनी की सहायता से जीभ को धीरे-धीरे साफ करें।

कावाला (गरारे) को आयुर्वेद में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इस क्रिया की मदद से गले में जमा बैक्टीरिया भी साफ हो जाते हैं। गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारा किया जा सकता है। इसके साथ पानी में तुलसी और हल्दी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

--आईएएनएस

पीएस/वीसी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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