Ford की कार से परेशान था ग्राहक! मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
फोर्ड इंडिया अपने एक ग्राहक को 42 लाख रुपए का हर्जाना देगी. ये आदेश सुप्रीम कोर्ट का है. दरअसल फोर्ड कंपनी का एक खरीददार लंबे वक्त से अपनी कार में आई खराबियों की वजह से परेशान था.
नई दिल्ली:
फोर्ड इंडिया को भरना होगा 42 लाख रुपए का हर्जाना! खबर ऑटोमोबाइल जगत से है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने फोर्ड इंडिया कंपनी के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया है, मामले में कंपनी को अपने कार खरीददार को 42 लाख रुपए का हर्जाना देने का निर्देश दिया है. दरअसल ये पूरा मामला फोर्ड टाइटेनियम इंडेवर 3.4एल वाहन के निर्माण में आई गड़बड़ी से जुड़ा है, जिसे लेकर पंजाब निवासी ग्राहक कई बार कार कंपनी सहित तमाम जगह इंसाफ की गुहार लगा चुका था... चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला...
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की, जिसमें उन्होंने फोर्ड इंडिया कंपनी को ग्राहक को 42 लाख रुपए हर्जाने के तौर पर भुगतान करने का आदेश दिया. साथ ही पीठ ने बताया कि कम्पनी द्वारा ग्राहक को 6 लाख पहले ही अदा किए जा चुके हैं, ऐसे में अब केवल 36 लाख रुपए और वाहन बीमा के लिए खर्चे 87 हजार रुपए ही ग्राहक को देने हैं. एक बार सारा हिसार तय होने के बाद ग्राहक अपनी गाड़ी फोर्ड को लौटा देगा.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल पंजाब निवासी फोर्ड कार के खरीददार शुरुआत से ही अपने वाहन में तेल का रिसाव, इंजन समस्या जैसे तमाम तरह की परेशानी से जूझ रहे थे. इसे लेकर उन्होंने कंपनी से शिकायत भी की, मगर कंपनी ने उनकी इस शिकायत को अनसुना कर दिया. इससे परेशान होकर खरीदार पंजाब राज्य उपभोक्ता आयोग के पास पहुंचा, जहां ग्राहक की सभी परेशानी के मद्देनजर कंपनी को गाड़ी का इंजन बदलने का आदेश दिया गया, साथ ही जब तक गाड़ी के गैराज में रहने तक तक दो हजार रुपए रोजाना की दर से ग्राहक को भुगतान करने को कहा गया.
आयोग के इस आदेश पर फोर्ड ने असहमति जताते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया, जहां फोर्ड का दावा अस्वीकार करते हुए पंजाब राज्य उपभोक्ता आयोग के फैसले को सही ठहराया गया. हालांकि बावजूद इसके फोर्ड इंडिया कंपनी की असहमति बरकरार रही, जिसके बाद फोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में उपभोक्ता आयोगों के फैसले को चुनौती देने की अपील दायर कर दी. जब सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले में दोनों पक्षों की तर्कपूर्ण दलीलें और आयोगों के फैसले पर गौर किया, तो उन्होंने भी फोर्ड को ही इस पूरे मामले में गलत बताया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सारा झंझट खत्म करने के लिए, कम्पनी इंश्योरेंस के 87 हजार और हर्जाना के बकाया 36 लाख रुपए पीड़ित ग्राहक को अदा करने का आदेश दिया.
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