logo-image

Coronavirus (Covid-19): ऑटो सेक्टर के लिए लॉकडाउन बना बड़ी मुसीबत, सामने आए ये भयावह आंकड़े

Coronavirus (Covid-19): ऑटो सेक्टर (Auto Sector) से जुड़े लोगों का कहना है कि यह सिर्फ अप्रैल तक ही सीमित नहीं रहेगा यह स्थिति आगे भी बढ़ती हुई दिखाई पड़ रही है.

Updated on: 27 Apr 2020, 11:51 AM

नई दिल्ली:

Coronavirus (Covid-19): ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री (Automobile Industry) के इतिहास में शायद यह पहली बार होगा जब किसी एक महीने में एक भी गाड़ियों की बिक्री नहीं होगी. दरअसल, लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से सभी गाड़ियों के शोरूम और मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing) बंद हैं. इसके अलावा मांग भी पूरी तरह से ठप है. ऑटो सेक्टर (Auto Sector) से जुड़े लोगों का कहना है कि यह सिर्फ अप्रैल तक ही सीमित नहीं रहेगा यह स्थिति आगे भी बढ़ती हुई दिखाई पड़ रही है.

यह भी पढ़ें: Rupee Open Today: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया आज उछला, 28 पैसे की मजबूती

संकट से निकलने के लिए बड़े बदलाव की जरूरत
जानकारों का कहना है कि मौजूदा संकट से निकलने के लिए बड़े स्तर पर बदलाव करने की जरूरत है. उनका कहना है कि सप्लायर्स, वेंडर्स, डीलर्स और पूरे ईकोसिस्टम के बगैर कामकाज को एक बार फिर से सुचारू रूप से शुरू करना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. उनका कहना है कि कई बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों ने इन्हीं सब कारणों की वजह से अपनी मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को दोबारा शुरू करने के लिए आवेदन नहीं किया है. कंपनियों ने फिलहाल मई तक स्थिति के स्पष्ट होने का इरादा जताया है. स्थिति स्पष्ट होने पर मई के मध्य से कुछ कंपनियां अपना परिचालन शुरू कर सकती हैं.

यह भी पढ़ें: Gold Silver Rate Today 27 April 2020: सोने और चांदी में आज क्या करें निवेशक, जानिए बेहतरीन ट्रेडिंग कॉल्स

GDP में ऑटो सेक्टर की हिस्सेदारी 8 फीसदी से ज्यादा
जानकारी के मुताबिक देश की GDP में ऑटो सेक्टर की हिस्सेदारी 8 फीसदी से ज्यादा है. सरकार की कुल टैक्स कलेक्शन में ऑटो सेक्टर का हिस्सा करीब 15 फीसदी है. आंकड़ों की बात करें तो ऑटो सेक्टर में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से 4 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है. इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों का कहना है कि अब समय आ गया है कि जापान के जस्ट इन टाइम (JIT) के कामकाज के तरीके को अपनाया जाए. उनका कहना है कि इस तरीके को अपनाकर भविष्य में होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है. उनका कहना है कि उत्पादन जारी रखने के लिए तमिलनाडु, महाराष्ट्र तेलंगाना, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में वेंडर्स का खुलना काफी जरूरी है.