देश के कार मार्केट में पहले से अपना दबदबा रखने वाली जापानी कार कंपनियों को अब कोरिया और चीन की कार कंपनियों से कड़ी चुनौती मिल रही है. घरेलू बाजार में इनकी मांग बढ़ रही है. 2022 तक मार्केट में इनकी हिस्सेदारी 25 पर्सेंट पहुंच सकती है, जो 2018 के अंत में 16 पर्सेंट पर थी. किफायती, भरोसेमंद और अच्छी क्वॉलिटी के लिए मशहूर मारुति सुजुकी, होंडा कार्स और टोयोटा किर्लोस्कर लगभग दो दशकों से भारतीय उपभोक्ताओं की पहली पसंद रही हैं.
वे इन्हें अन्य देसी ब्रैंड्स के अलावा अमेरिकी और यूरोपीय ब्रैंड्स से अधिक तवज्जो देते आए हैं. हालांकि, नए जमाने के खरीदारों का झुकाव कोरिया और चीन के ब्रैंड्स की तरफ बढ़ रहा है, जो डिजाइन, कनेक्टिविटी और टेक्नॉलजी के साथ अधिक मांग वाली यूटिलिटी वीइकल्स पर जोर देते हैं.
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ऑटोमोटिव रिसर्च और एनालिटिक्स फर्म JATO डाइनैमिक्स इंडिया के अनुसार, जापानी कार कंपनियों का मार्केट शेयर 2022 तक घटकर 47 पर्सेंट पर आ सकता है. 2018 में यह आंकड़ा 62 पर्सेंट पर था. इसी दौरान कोरिया की कार कंपनियों का शेयर बढ़कर 23.5 पर्सेंट और चीन का 1.5 पर्सेंट पहुंच सकता है.
SUV का मार्केट शेयर बढ़कर 20 पर्सेंट पहुंचा
आर्थिक सुस्ती के बावजूद मौजूदा वित्त वर्ष में UV सेगमेंट का प्रदर्शन अच्छा रहा है. SUV सेगमेंट में कॉम्पैक्ट कारों की ग्रोथ पिछले पांच साल में पैसेंजर कारों से 10 गुना रही है. 2019 में SUV का मार्केट शेयर बढ़कर 20 पर्सेंट पहुंच गया, जो 2013 में सिंगल डिजिट में था. कोरियाई कंपनियों और चीन की एक कंपनी ने 2019 में तेज ग्रोथ वाले कॉम्पैक्ट SUV सेगमेंट में मिलकर 42.8 पर्सेंट का शेयर हासिल किया है. इस सेगमेंट में जापानी कार कंपनियों का शेयर घटकर 18.5 पर्सेंट पर आ गया है.
वहीं kiya और MG जैसे नए ब्रैंड यूटिलिटी पर जोर दे रहे हैं, जिससे जापानी कार मेकर्स का शेयर घटा है. कोरिया और चीन की कंपनियां 2022 तक एक दर्जन से अधिक नई यूटिलिटी वीइकल लॉन्च करने की तैयारी में हैं. इस दौरान मारुति सुजुकी, होंडा और टोयोटा ने केवल चार-पांच UV मार्केट में उतारने की योजना बनाई है.
Source : News Nation Bureau