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इतिहास में सबसे कठिन दौर से गुजर रहा भारतीय ऑटो उद्योग, सरकारी मदद की जरूरत

मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ केनिची आयुकावा ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय ऑटो उद्योग (Indian Auto Industry) इतिहास में सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है और उसे जीएसटी में कमी और प्रोत्साहन आधारित स्क्रैपेज नीति के रूप में सरकारी मदद की जरू

Updated on: 04 Sep 2020, 01:52 PM

नयीदिल्ली:

मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ केनिची आयुकावा ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय ऑटो उद्योग (Indian Auto Industry) इतिहास में सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है और उसे जीएसटी में कमी और प्रोत्साहन आधारित स्क्रैपेज नीति के रूप में सरकारी मदद की जरूरत है. आयुकावा, जो ऑटो उद्योग की संस्था सियाम के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और पिछले वित्त वर्ष से जारी सुस्ती के चलते यह क्षेत्र कई साल पीछे चला गया है.

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उन्होंने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट के सामने आने पर भारतीय ऑटो उद्योग ने वेंटिलेटर, निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के निर्माण में अपनी भूमिका निभाई और वायरस से लड़ने के लिए विदेशों से परीक्षण किट का आयात भी किया.

आयुकावा ने सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (सियाम) के 60वें वार्षिक सम्मेलन में कहा, ‘‘हम कह सकते हैं कि अगस्त में हमने पिछले साल की तुलना में वापसी की है. हालांकि, पिछले साल से तुलना करना सही नहीं होगा, क्योंकि उस दौरान उद्योग ने 15-25 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की थी. इस नकारात्मक वृद्धि ने उद्योग को कई साल पीछे कर दिया है.’’

यह सम्मेलन ऑनलाइन आयोजित किया गया था. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी की ऑटो उद्योग की पुरानी मांग को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि आयुकावा ने कहा, ‘‘हम इतिहास में सबसे कठिन समय का सामना कर रहे हैं. उद्योग को आपकी (सरकार) मदद की जरूरत है.’’

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उन्होंने कहा, ‘‘हम जीएसटी में कटौती और प्रोत्साहन योजना का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. हमारा मानना ​​है कि बढ़ते कारोबार पर मिलने वाला कर सरकार की स्क्रैपेज योजना और जीएसटी में कटौती से ज्यादा होगा.’’ इस मौके पर उन्होंने भारी उद्योग मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को धन्यवाद दिया, जिन्होंने सम्मेलन में यह भरोसा दिया कि वह जीएसटी कटौती के मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष उठाएंगे.