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Lalita Saptami 2023: ...तो दूर होंगे सारे दुख! जानें ललिता सप्तमी का धार्मिक महत्व

इस खास तिथि के बहुत ही खास महत्व को करीब से समझें, इसकी धार्मिक मान्यताओं पर गौर करें, साथ ही साथ इस पर्व पर होने वाली पूजा और तमाम तरह की अन्य चीजों की जानकारी हासिल करें. 

Updated on: 21 Sep 2023, 06:03 PM

नई दिल्ली:

भाद्रपद मास... ये तिथि धर्मिक रूप में हिंदूओं के लिए बहुत अहमियत रखती है. दरअसल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से लेकर, राधा अष्टमी और गणेश उत्सव तक इसी अवसर पर कई तीज-त्योहारों का जश्न मनाया जाता है. वहीं इस महत्वपूर्ण तिथि यानि भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष को, संतान सप्तमी या ललिता सप्तमी के तौर पर भी पहचाना जाता है, जो इस साल 22 सितंबर 2023 को आ रही है. कहते हैं कि इस अवसर पर व्रत रखना, पुण्यफल की प्राप्ति कराता है...

ऐसे में चलिए, इस खास तिथि के बहुत ही खास महत्व को करीब से समझें, इसकी धार्मिक मान्यताओं पर गौर करें, साथ ही साथ इस पर्व पर होने वाली पूजा और तमाम तरह की अन्य चीजों की जानकारी हासिल करें. 

ये है शुभ मुहूर्त...

पंचांग के अनुसार, ललिता सप्तमी का पर्व भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को दोपहर ठीक 02:14 से शुरू होकर अगले दिन, दोपहर 01:35 तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि को आधार के तौर पर पहचानते हुए, ललिता सप्तमी या फिर कहें संतान सप्तमी का व्रत 22 सितंबर को ही रखा जाएगा. बता दें कि हर साल ही ये व्रत श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 14 दिन बाद और श्री राधाअष्टमी के एक दिन पहले पड़ता है.

ये है धार्मिक महत्व

भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी का व्रत कान्हा की प्रिय सखी ललिता जी को समर्पित है. दरअसल पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण की आठ सखियां श्री राधा, श्री ललिता, श्री विशाखा, श्री चित्रा, श्री इंदुलेखा, श्री चंपकलता, श्री रंग देवी, श्री सुदेवी और श्री तुंगविद्या में भगवान कृष्ण श्री राधा जी और ललिता जी से अत्यधिक प्रेम करते थे. इसलिए हिंदू मान्यता कहती है कि, इस पावन पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के साथ-साथ ललिता जी की पूजा जीवन में सौभाग्य लाती है, साथ ही जिंदगी को खुशियों से भर देती है. लोगों का विश्वास है कि इस पावन अवसर पर विधि-विधान से पूजा करने पर व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति भी होती है.