'पलायन का मुद्दा अभी तक किसी पार्टी ने नहीं उठाया, ये सिर्फ हम उठा रहे'-प्रगति पथ पर कॉन्क्लेव में बोले प्रशांत किशोर

बिहार में जाति पर वोट पड़ने के मुद्दे पर जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा यह एक तरह से पूर्वाग्रह है. यहां पर भी अन्य राज्यों की तरह वोट पड़ते हैं। जब 2014 में पीएम मोदी की लहर थी तब बिहार में भी जनता ने मोदी के पक्ष में वोट किया.

बिहार में जाति पर वोट पड़ने के मुद्दे पर जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा यह एक तरह से पूर्वाग्रह है. यहां पर भी अन्य राज्यों की तरह वोट पड़ते हैं। जब 2014 में पीएम मोदी की लहर थी तब बिहार में भी जनता ने मोदी के पक्ष में वोट किया.

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Mohit Saxena
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बिहार में जाति पर वोट पड़ने के मुद्दे पर जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा, 'यह एक तरह से पूर्वाग्रह है. यहां पर भी अन्य राज्यों की तरह वोट पड़ते हैं. जब 2014 में पीएम मोदी की लहर थी तब बिहार में भी जनता ने मोदी के पक्ष में वोट किया. 1984 में जब कांग्रेस की लहर थी, तब बिहार ने भी वोट किया था. ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत है कि यहां पर जात को देखकर वोट दिया जाता है. बिहार में भी जाति की महत्ता उतनी ही है, जितनी गुजरात, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों में है.' 

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यह मुद्दा पहली बार जन सुराज पार्टी ने उठाया 

प्रशांत किशोर ने कहा, 'गुजरात में पीएम मोदी जाकर इंवेस्टमेंट समिट की बात करते है. सबसे बड़ा सौर्य ऊर्जा केंद्र कच्छ में बन रहा है. वे गुजरात में विकास की बात करते हैं. मगर जब पीएम मोदी बिहार में आते हैं तो वे जाति या धर्म की बात करते हैं. वे फ्री अनाज की बात करते है. पलायन के मुद्दे पर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह मुद्दा कभी परांपरिक पार्टी नहीं उठाती है. यह मुद्दा पहली बार जन सुराज पार्टी ने उठाया है. लोगों को मजबूरी में घर छोड़कर कुछ पैसों के लिए बाहर जाना पड़ रहा है.  जो पैसा सेंटर से राज्य को मिलता है, वह मिलना ही है. यानि 42 प्रतिशत हिस्सा बिहार को मिलना ही है.अहम बात है कि 1990 में जब लालू सीएम बने तो भी देश का पिछड़ा राज्य बिहार था. 2005 में भी यहीं हालत थे और अब भी यह बना हुआ है. 70 हजार करोड़ रुपये का बजट यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है.' 

यूपी में क्यों नहीं लागू किया शराबबंदी

प्रशांत किशोर ने कहा, ' शराबबंदी को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा, 'यह सिर्फ यहां पर क्यों है? महिलाओं का सशक्तिकरण करना तो पूरे देश में इसे लागू करना चाहिए. यूपी में क्यों नहीं लागू किया गया है? यूपी मे दोगुने ठेके बन रहे हैं. नीतीश कुमार को सबसे बड़ी सफलता 2010 में मिली थी. उस समय शराबबंदी लागू नहीं हुई थी. 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद सिर्फ 45 सीटें मिलीं. अगर महिला से पूछेंगे की शराबबंदी होनी चाहिए तो वह कहेंगी हां लागू होनी चाहिए, मगर क्या यहां पर ऐसा है. शराबबंदी का जीत से कोई लिंक नहीं है. 

प्रशांत किशोर ने कहा, ' पूरे देश की इकोनॉमी अग्रीकल्चर, मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर पर टिकी है. जॉब सिर्फ फैक्टरी लगाने से नहीं होगी. जहां पर 60 फीसदी नौकरी वर्ग है. ऐसे में वाइट कॉलर जॉब को बढ़ावा मिले. उच्च शिक्षा को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि यहां पर स्कूल एजुकेशन को बेहतर करना जरूरी है. इसके बाद युवक कोटा में जाकर पढ़े या पर कही और पढ़े. 20 साल में नीतीश कुमार जो व्यवस्था बनाई, वह नाकाफी है. बिहार सरकार हर साल 77 हजार करोड़ रुपये शिक्षा पर खर्च करती है.' 

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