गांधी परिवार (Gandhi Family) प्रचार में नहीं उतरा तो विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में मुकाबले में आ गई कांग्रेस
Haryana Assembly Election Results 2019 : इस पूरे मुकाबले में एक बात तो साफ हो गई है कि गांधी परिवार (Gandhi Family) के चुनाव प्रचार में नहीं उतरने से कांग्रेस (Congress) को फायदा हुआ है.
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार में गांधी परिवार चुनाव मैदान में उतरा ही नहीं. बावजूद इसके कांग्रेस ने हरियाणा में शानदार प्रदर्शन किया. साथ ही कांग्रेस ने महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बड़े अंतर से जीत के दावे को भी पलीता लगा दिया. रूझानों में हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा की ओर बढ़ रहा है. शानदार प्रदर्शन का दावा करने वाली बीजेपी ठिठक सी गई है. कांग्रेस वहां दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी से समझौता कर सकती है. यह अलग बात है कि समझौते में किसको क्या मिलेगा? देखना यह होगा कि सीएम पद कांग्रेस को मिलता है या बीजेपी को. इस पूरे मुकाबले में एक बात तो साफ हो गई है कि गांधी परिवार के चुनाव प्रचार में नहीं उतरने से कांग्रेस को फायदा हुआ है.
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इससे पहले पंजाब विधानसभा के चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह की जिद की वजह से कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार वहां अधिक सक्रिय नहीं था और पार्टी को बंपर जीत हासिल हुई थी. इस बार हरियाणा में गांधी परिवार चुनाव में सक्रिय नहीं था. सोनिया गांधी की एक रैली प्रस्तावित थी, वो भी नहीं हो पाई थी. सोनिया गांधी की प्रस्तावित रैली को राहुल गांधी ने संबोधित किया था. इसके अलावा राहुल गांधी ने केवल नूंह में एक रैली की थी. बावजूद इसके कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन करते हुए बीजेपी को सत्ता से दूर रखने में नायाब भूमिका अदा की.
महाराष्ट्र में भी सोनिया गांधी ने रैली नहीं की. प्रियंका गांधी भी महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव से दूर रहीं. वहां राहुल गांधी ने तीन रैलियां कीं, जो अधिक प्रभावी साबित नहीं हुईं. इसके बाद भी कांग्रेस ने महाराष्ट्र में सत्ताधारी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बड़े अंतर से जीत के दावे की धज्जियां उड़ा दी.
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तो क्या यह मान लिया जाए कि गांधी परिवार का चुनाव प्रचार में न उतरना कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा. या भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह आलाकमान को चुनाव प्रचार से दूर रहने की सलाह दी होगी.
इसके उलट देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने धुआंधार रैलियां की थीं. देश का कोना-कोना नाप दिया था, लेकिन उन्हें मुंह की खानी पड़ी और चुनाव में कांग्रेस की बुरी गत हो गई. राहुल गांधी की खानदानी सीट अमेठी में भी हार का सामना करना पड़ा और उन्हें केरल के वायनाड सीट की शरण लेनी पड़ी.
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