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कालचक्र : 41 साल पहले शरद पवार ने की थी दगाबाजी, उन्‍हीं के नक्‍श-ए-कदम पर अजीत पवार

आज कालचक्र घुमा है और शरद पवार के साथ वहीं हुआ है, जो उन्‍होंने 41 साल पहले मुख्‍यमंत्री वसंतदादा पाटिल के साथ किया था. अब उन्‍हीं के नक्‍शे-कदम पर चलते हुए उनके भतीजे अजीत पवार ने बिना उनकी मर्जी के बीजेपी के साथ चले गए और डिप्‍टी सीएम बन गए हैं.

Updated on: 25 Nov 2019, 08:47 AM

नई दिल्‍ली:

41 साल पहले शरद पवार (Sharad Pawar) 38 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के मुख्‍यमंत्री का तमगा अपने नाम कर बैठे थे. कम उम्र में ही उन्‍होंने सियासत की सारी कलाबाजियां सीख ली थीं और तब से महाराष्‍ट्र (Maharashtra) की राजनीति का सिरमौर बने हुए हैं. महाराष्‍ट्र की राजनीति को समझनी हो तो शायद ही कोई राजनीतिशास्‍त्री शरद पवार की अनदेखी करने की भूल कर पाएगा. आज कालचक्र घुमा है और शरद पवार के साथ वहीं हुआ है, जो उन्‍होंने 41 साल पहले मुख्‍यमंत्री वसंतदादा पाटिल (Vasant Dada Patil) के साथ किया था. पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल की पत्नी शालिनी पाटिल (Shalini Patil) का कहना है कि समय का पहिया घूमा है और अजित पवार (Ajit Pawar) का कदम 41 साल पहले शरद पवार द्वारा उठाए गए कदमों का एक सबक है.

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फरवरी 1978 की बात है. तब की कांग्रेस (एस) को 69 और कांग्रेस (आई) को 65 सीटें हासिल हुई थी. जनता पार्टी को 99 सीटें मिली थीं. उस चुनाव में किसी दल को स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिला था. तब कांग्रेस के दोनों धड़े कांग्रेस (एस) और कांग्रेस (आई) सरकार बनाने के लिए एकजुट हो गए. कांग्रेस (एस) के वसंतदादा पाटिल मुख्यमंत्री और कांग्रेस (आई) के नाशिकराव तिरपुड़े उप मुख्यमंत्री बने. सरकार बने 6 माह ही हुए थे कि 38 साल की उम्र में 38 विधायकों के साथ अलग हो गए और ‘समानांतर कांग्रेस’ बनाई. वसंत दादा से बगावत कर शरद पवार तब सबसे कम उम्र के मुख्‍यमंत्री बने. हालांकि उनकी सरकार भी दो साल से कम समय तक के लिए ही टिकी. अब उन्‍हीं के नक्‍शे-कदम पर चलते हुए उनके भतीजे अजीत पवार ने बिना उनकी मर्जी के बीजेपी के साथ चले गए और डिप्‍टी सीएम बन गए हैं. 

शालिनी पाटिल का कहना है, ‘शरद पवार ने जैसा व्यवहार वंसतराव के साथ किया था, उसी तरह का अनुभव उन्हें परिवार से तब मिला जब अजित पवार ने बीजेपी के साथ जाकर सरकार में शामिल हो गए.’ शालिनी पाटिल ने शरद पवार द्वारा सत्ता कब्जाने के लिए 1978 में उठाए गए कदम को विश्वासघात और पीठ में छुरा घोंपने जैसा करार दिया. शालिनी ने यह भी कहा, शरद पवार को वसंतदादा से सीधे बात करनी चाहिए थी बजाय गुपचुप तरीके से विधायकों को तोड़ने के. वर्ष 2006 में शालिनी को सामाजिक न्याय के मुद्दे पर पार्टी विरोधी रुख अपनाने के आरोप में राकांपा से निष्कासित कर दिया गया था.

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गौर हो कि शनिवार को शरद पवार के भतीजे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता अजित पवार पार्टी के कुछ विधायकों के साथ राजभवन गए और नाटकीय तरीके से उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. जबकि भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और उसके बाद शरद पवार को अपना कुनबा बचाने के लिए विधायकों को एक होटल में रखना पड़ा.