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महाराष्ट्र का सियासी दंगल: अब क्या करेगी शिवसेना? शरद पवार ने तो गोल-गोल घुमा दिया

महाराष्ट्र में शिवसेना नेता संजय राउत के आए दिन बीजेपी पर तंज सकते बयान और देवेंद्र फडणवीस पर वादे से मुकरने के आरोपों से यही लगता रहा कि शिवसेना और एनसीपी के बीच बात लगभग पक्की हो चुकी है. लेकिन बुधवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के बयानों से स्थिति कुछ और ही नजर आ रही है

Updated on: 06 Nov 2019, 03:57 PM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में शिवसेना पिछले काफी दिनों से दावे कर रही थी कि राज्य का अगला सीएम शिवसेना से ही होगा. पार्टी नेता संजय राउत के आए दिन बीजेपी पर तंज सकते बयान और देवेंद्र फडणवीस पर वादे से मुकरने के आरोपों से यही लगता रहा कि शिवसेना और एनसीपी के बीच बात लगभग पक्की हो चुकी है. लेकिन बुधवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के बयानों से स्थिति कुछ और ही नजर आ रही है. दरअसल बुधवार को संजय राउत ने शरद पवार से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद माना जा रहा था कि शरद पवार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुछ बड़ा ऐलान कर सकते हैं. लेकिन इस दौरान भी उन्होंने वहीं कहा जो वो अब तक कहते आए हैं. उन्होंने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली बात को सिरे से खारिज कर दिया और तो और शिवसेना को नसीहत भी दे डाली कि पार्टी को बीजेपी के साथ मिलकर ही जल्द से जल्द सरकार बनानी चाहिए.

पवार के इस बयान से साफ है कि एनसीपी शिवसेना को गोल-गोल घुमा रही है, लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि शिवसेना अब क्या करेगी. शिवसेना अब तक एनसीपी के भरोसे ही बीजेपी और सीएम फडणवीस पर ताबड़तोड़ हमले बोल रही थी लेकिन अब जब शरद पवार ने साफ-साफ कह दिया है कि वो विपक्ष में ही बैठेंगे तो शिवसेना के लिए परेशानी खड़ी हो गई है. बता दें, बीजेपी और शिवसेना के पास सरकार बनाने के लिए 9 नवंबर तक का ही समय है लेकिन अभी भी दोनों में कोई भी झुकने को तैयार नहीं हुआ है. इसके अलावा शिवसेना के बीजेपी पर वादे से मुकरने के आरोप और तंजभरे बयानों से दोनों पार्टियों में खटास पहले से पैदा हो चुकी है.

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या बोले शरद पवार?

बुधवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, बीजेपी-शिवसेना को महाराष्ट्र में जल्द से जल्द सरकार बना लेनी चाहिए. उन्होंने कहा, मेरे पास कहने के लिए अभी तक कुछ नहीं है. बीजेपी और शिवसेना को लोगों का जनादेश मिला है. ऐसे में उन्हें जितना जल्दी हो सके सरकार बना लेनी चाहिए. लोगों ने हमें विपक्ष में बैठने का आदेश दिया है.

बता दें, शिवसेना पिछले काफी दिनों से एनसीपी के संपर्क में है. बताया जा रहा है कि शिवसेना ने एनसीपी को सरकार बनाने का ऑफर दिया है. हालांकि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शरद पवार ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा, शिवसेना नेता संजय राउत ने उन्हें कोई भी ऑफर नहीं दिया है. पिछले दिनों सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा था कि महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना सकते हैं. इस बारे में जब पावर से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, बीजेपी-शिवसेना पिछले 25 सालों से साथ थे, अभी भी हैं और आगे भी रहेंगे. दोनों पार्टियां फिर वापसी करेंगी.

उन्होंने आगे कहा, राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू न हो इसके लिए केवल एक विकल्प ही बचा है और वो है कि बीजेपी शिवसेना एक साथ आकर सरकार बनाए. इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है. बुधवार को संजय राउत के साथ हुई मुलाकात पर उन्होंने कहा, संजय राउत ने आज मुझसे मिले थे और इस दौरान हमने राज्यसभा सत्र की चर्चा की. ऐसे कुछ मुद्दे हैं जिसपर हमारे एकमत हो सकते हैं.

बता दें, इससे पहले शरद पवार से मुलाकात के बाद शिवसेना नेता संजय राउत (Shiv Sena Leader Sanjay Raut) ने बुधवार को दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections) से पहले भाजपा (BJP) और उनकी पार्टी के बीच मुख्यमंत्री (Chief Minister) पद साझा करने को लेकर सहमति हुई थी. राज्य में सरकार गठन को लेकर जारी खींचतान के बीच राउत ने यहां पत्रकारों से कहा कि सरकार गठन को लेकर भाजपा से न कोई नया प्रस्ताव मिला है और न उन्हें भेजा गया है. मुख्यमंत्री पद को लेकर सहमति कब होगी, इस सवाल पर राज्यसभा सदस्य (Rajya Sabha Member) ने कहा, ‘चुनाव (Election) से पहले ही पद को लेकर सहमति हो गई थी.’

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राउत ने सरकार गठन को लेकर किसी भी नए प्रस्ताव की खबर को खारिज करते हुए कहा कि शिवसेना चुनाव से पहले तय हुई स्थिति पर ही सरकार गठन को राजी होगी. उन्होंने कहा, ‘‘नए प्रस्ताव पर समय क्यों बर्बाद करें. हम पहले तय हुई बातों पर चर्चा करना चाहते हैं. कोई नया प्रस्ताव न मिला है और न भेजा गया है.’’

राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने की खबरों पर राउत ने कहा, ‘‘ हम इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। राष्ट्रपति शासन लागू करने की साजिश रचने वाले लोग जनादेश का अपमान कर रहे हैं.’’ पिछले विधानसभा चुनाव के विपरीत भाजपा और शिवसेना ने यह चुनाव मिलकर लड़ा था। 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने इस बार 105 सीटें जीतीं जबकि शिवसेना 56 सीटों पर विजेता रही.