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Maharashtra Assembly Results: राज ठाकरे ने उतारे 110 प्रत्याशी, जीता एक भी नहीं

बाला साहेब ठाकरे के वास्तविक उत्तराधिकारी होने का दम भरने वाले राज ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा में 110 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन रुझानों में बढ़त सिर्फ एक को ही मिली.

Updated on: 24 Oct 2019, 02:42 PM

highlights

  • महाराष्ट्र विधानसभा में 110 प्रत्याशियों में से एक भी नहीं जीता.
  • लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ जमकर किया था प्रचार.
  • हालिया विधानसभा चुनाव में सुर पड़ गए थे नरम.

New Delhi:

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे एक बार फिर 2019 के विधानसभा चुनावी समर में खेत रहे हैं. बाला साहेब ठाकरे के वास्तविक उत्तराधिकारी होने का दम भरने वाले राज ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा में 110 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन शुरुआती रुझानों में सिर्फ एक ही सीट पर उनका प्रत्याशी कुछ देर के लिए बढ़त बनाने में सफल रहा. इस लिहाज से देखें तो बेहतरीन वक्ता और भीड़ जटाने में माहिर राज ठाकरे अपनी सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ को मतदान केंद्रों में लाने में असफल रहे. 2009 के विधानसभा चुनाव में मनसे 13 सीटों पर जीती थी, जबकि 2014 में सिर्फ एक सीट पर ही उसे जीत मिली. गौरतलब है कि 2006 में शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पार्टी बनाई थी.

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बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में किया प्रचार
हालांकि मनसे ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था, लेकिन राज ठाकरे ने राज्य भर का दौरा कर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ प्रचार किया था. लोस चुनाव के दौरान इस आक्रामक नेता ने ऑडियो-विजुअल प्रेजेंटेशन से बीजेपी खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा. इन ऑडियो-वीडियो प्रेजेंटेशन में राज ठाकरे ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम पद के उम्मीदवार के नरेंद्र मोदी के किए गए वादों को लेकर बीजेपी के खिलाफ जमकर जहर उगला था. यह अलग बात है कि उनके भाषण प्रभावी नहीं रहे और बीजेपी-शिवसेना गठबंधन 48 में से 42 लोकसभा सीटें जीतने में सफल रहा. इस चुनाव में एनसीपी ने 4, कांग्रेस ने एक और एआईएमआईएम ने भी एक सीट पर कब्जा किया था.

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ईवीएम पर उठाया था सवालिया निशान
लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद राज ठाकरे ने ईवीएम पर अपनी पराजय का ठीकरा फोड़ा था. इसके बाद राज ठाकरे ने यह कोशिश भी कि कांग्रेस और एनसीपी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करे, खासकर जब तक चुनाव आयोग मतदान पत्र से वोटिंग कराने के लिए राजी नहीं हो जाए. यह अलग बात है कि एनसीपी के शरद पवार और कांग्रेस के राहुल गांधी दोनों ही नेताओं ने उनके सुझाव पर कोई तवज्जो नहीं दी. अपने 14 साल के राजनीतिक कैरियर में पहली बार दिल्ली गए राज ठाकरे ने ईवीएम का मसला चुनाव आयोग के समक्ष भी उठाया था. साथ ही यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी इस मसले पर मुलाकात की थी.

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मोदी-शाह-फड़णनवीस पर नहीं साधा निशाना
गौर करने वाली बात यह है कि ईवीएम के बहिष्कार की जिद पर अड़े राज ठाकरे अंततः विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार हो गए. हालांकि लोकसभा चुनाव उनकी जिस आक्रामक शैली की गवाह बने थे, वह विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान गायब रही. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री, बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह समेत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णनवीस को अपना निशाना नहीं बनाया. उन्होंने संगठन और पार्टी के स्तर पर बीजेपी-शिवसेना पर जरूर निशाना साधा. इसके साथ ही वह यह भी कहते रहे कि मनसे को एक मजबूत पार्टी बनाना है, जो सरकार को हिला सके या राज्य में अपनी मर्जी की सरकार बना सके.

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ईडी की पूछताछ के बाद सुर पड़े नरम
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज ठाकरे ने अब राजनीतिक सच्चाई को स्वीकार कर लिया है. यह भी माना जा रहा है कि मनी लांड्रिंग समेत दो-एक अन्य मामलों में प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ के बाद उनके सुर नरम पड़ गए हैं. 450 करोड़ रुपए के घोटाले में ईडी के राडार पर आई एक कंपनी से राज ठाकरे के कभी संबंध रहे थे. ईडी ने इसी सिलसिले में उनसे लंबी पूछताछ की थी.