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क्‍या महाराष्‍ट्र में पलटी मारने जा रहे हैं अजीत पवार? दे सकते हैं बीजेपी को बड़ा झटका

दो दिनों से महाराष्‍ट्र की राजनीति में धूम मचाने वाले अजीत पवार सोमवार रात से अपने आवास से गायब हैं और बताया जा रहा है कि वे शरद पवार और सुप्रिया सुले के साथ होटल में हैं.

Updated on: 26 Nov 2019, 10:21 AM

नई दिल्‍ली:

दो दिनों से महाराष्‍ट्र की राजनीति में धूम मचाने वाले अजित पवार सोमवार रात से अपने आवास से गायब हैं और बताया जा रहा है कि वे शरद पवार और सुप्रिया सुले के साथ होटल में हैं. इसके साथ ही यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि अजित पवार भी अब बाकी विधायकों की तरह शरद पवार के साथ आ जाएंगे. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्‍योंकि अजित पवार पिछली देर रात से अपने आवास से गायब हैं. यहां तक कि वे अपने साथ सुरक्षाकर्मियों को भी लेकर नहीं गए हैं. अकेले वे इन्‍नाेवा गाड़ी से निकले थे. बताया जा रहा है कि देर रात से शरद पवार और सुप्रिया सुले से उनकी मीटिंग चल रही है. आज सुबह 26/11 के शहीदों को श्रद्धांजलि देने वाले कार्यक्रम में भी अजित पवार नहीं पहुंचे. इसके अलावा एक दिन पहले मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बुलाई गई बैठक में भी उनकी गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी हुई है. इन सब घटनाक्रमों के बाद से बीजेपी के होश फाख्‍ता हो गए हैं.

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23 नवंबर को बदलते घटनाक्रम में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले ली थी और उनके साथ एनसीपी नेता अजित पवार डिप्‍टी सीएम बन गए थे. अजित पवार के इस कदम से शरद पवार की पार्टी एनसीपी हतप्रभ रह गई थी. शरद पवार ने आनन-फानन मोर्चा संभाला और देर शाम को विधायक दल का नेता पद से अजित पवार को हटा दिया गया. अजित पवार की जगह जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता चुन लिया गया. बाद में शरद पवार ने कहा, अजित पवार के कदम से वे किनारा करते हैं और उनके इस कदम का वे समर्थन नहीं करते हैं.

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अजित पवार के अप्रत्‍याशित कदम से महाराष्‍ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया था. कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना सकते में आ गई थीं. तीनों दलों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली, जिस पर दो दिन की सुनवाई के बाद आज मंगलवार को फैसला आना है. अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला तय करेगा कि महाराष्‍ट्र की राजनीति किस दिशा में जाएगी. अगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस की सरकार को झटका लगता है तो अजित पवार निश्‍चित रूप से वापसी करने में संकोच नहीं करेंगे, लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला विपक्ष को झटका देगा तो शायद अजित पवार अपने फैसले पर अडिग रहेंगे.