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बीजेपी-शिवसेना (BJP-Shivsena) के बीच जद्दोजहद, कांग्रेस (Congress) को अपने विधायकों को बचाए रखने की चुनौती

हरियाणा (Haryana) में बीजेपी (BJP) को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बाद भी वहां दिवाली (Diwali) के दिन सरकार बन गई, लेकिन महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन (BJP-Shivsena Alliance) को बहुमत मिलने के बाद भी पेंच फंसा हुआ है.

Updated on: 28 Oct 2019, 09:51 AM

नई दिल्‍ली:

हरियाणा (Haryana) में बीजेपी (BJP) को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बाद भी वहां दिवाली (Diwali) के दिन सरकार बन गई, लेकिन महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन (BJP-Shivsena Alliance) को बहुमत मिलने के बाद भी पेंच फंसा हुआ है. शिवसेना (ShivSena) जहां ढाई-ढाई साल सीएम (CM) को लेकर अड़ी हुई है, वहीं बीजेपी को यह नागवार गुजर रहा है. नतीजा अब तक सरकार बनने की कोई सूरत वहां दिखाई नहीं दे रही है. शिवसेना के नखरे के चलते बीजेपी ने एनसीपी (NCP) पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं. वहीं शिवसेना भी कांग्रेस-एनसीपी (Congress-NCP) का साथ लेकर चलने के संकेत दे रही है. इस तरह महाराष्‍ट्र में एनसीपी पावर सेंटर (Power Center) की भूमिका में आ गई है. इन सबके बीच कांग्रेस (COngress) के लिए अपने विधायकों को तोड़फोड़ से बचाए रखने की चुनौती बढ़ गई है.

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बीजेपी के कुछ नेता बयानबाजी कर रहे हैं कि विपक्षी दल के कुछ विधायक उनके संपर्क में हैं. यह इशारा कांग्रेस की तरफ ही है. अभी हाल ही में महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में कांग्रेस के कई नेता बीजेपी और शिवसेना में शामिल हुए थे. वहीं गोवा (Goa), कर्नाटक (Karnataka) और तेलंगाना (Telangana) में कांग्रेस विधायकों में तोड़फोड़ हो चुकी है. गुजरात (Gujarat) में भी कांग्रेस के कई विधायकों ने बीजेपी का दामन थामा था. कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस (Congress-JDS) की सरकार ही इसलिए गिर गई थी कि उसके कई विधायक बागी हो गए थे. इस लिहाज से महाराष्‍ट्र के घमासान के बीच कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है.

बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था. घोषित परिणाम के अनुसार, बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव की तुलना में बीजेपी को इस बार 17 सीटें कम मिली हैं तो शिवसेना को सात सीटों का नुकसान हुआ है. राज्य में बहुमत का आंकड़ा 145 है, ऐसे में शिवसेना से मदद लिए बिना बीजेपी के लिए सरकार बनाना मुश्किल होगा.

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बीजेपी की कम सीटें आने से शिवसेना ने मोलभाव करना शुरू कर दिया है. शिवसेना का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान 50-50 का फॉर्मूला तय हुआ था, ऐसे में ढाई साल भाजपा का और ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री होना चाहिए, जबकि बीजेपी को यह फॉर्मूला कतई मंजूर नहीं है. इसी कारण बीजेपी राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर रही है.

गतिरोध के बीच बीजेपी और शिवसेना ने निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में करने की जुगत तेज कर दी है. अब तक तीन निर्दलीय विधायकों गीता जैन, राजेंद्र राउत और रवि राणा ने बीजेपी को समर्थन देने की बात कही है. ठाणे जिले की मीरा भयंदर सीट से जीतीं गीता जैन ने सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान किया था. विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी से टिकट चाहती थीं, ऐसा न होने पर उन्‍होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. जैन ने बीजेपी प्रत्याशी नरेंद्र मेहता को हराया था.