logo-image

BJP-JJP की दोस्ती दिल्ली में भी रहेगी कायम, जजपा को 4-5 सीटें दे सकती है बीजेपी

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सीटों के तालमेल के लिए दुष्यंत की एक दौर की बातचीत भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से हो चुकी है.

Updated on: 15 Jan 2020, 05:34 PM

highlights

  • भाजपा-जजपा की हरियाणा की दोस्ती दिल्ली में भी रह सकती है.
  • दोनों ही नेताओं के बीच एक दौर की और बातचीत होनी है.
  • हरियाणा और दिल्ली के जाट नेता इस गठबंधन के खिलाफ.

नई दिल्ली:

भाजपा और जजपा की हरियाणा की दोस्ती दिल्ली में भी कायम रह सकती है. इस बाबत हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और जजपा संयोजक दुष्यंत चौटाला लगातार भाजपा हाईकमान के संपर्क में हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव में सीटों के तालमेल के लिए दुष्यंत की एक दौर की बातचीत भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से हो चुकी है और सूत्रों के अनुसार जजपा को भाजपा चार-पांच सीटें दे सकती है. दिल्ली विधानसभा चुनाव की 70 सीटों के लिए मतदान आठ फरवरी को होना है, और नतीजे 11 फरवरी को घोषित किए जाएंगे.

सूत्रों के मुताबिक, दुष्यंत ने जे.पी. नड्डा से मुलाकात में एक दर्जन सीटों पर अपनी दावेदारी की है, लेकिन भाजपा उन्हें चार-पांच सीटें दे सकती है. इस सिलसिले में दोनों ही नेताओं के बीच एक दौर की और बातचीत होनी है, जिसमें सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला हो होगा. सूत्र ने यह भी बताया है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी जजपा के साथ गठबंधन के हिमायती हैं, लेकिन हरियाणा और दिल्ली के जाट नेता इस गठबंधन के खिलाफ हैं.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली चुनाव से पहले AAP को लगा बड़ा झटका, टिकट न मिलने नाराज इस MLA ने छोड़ी पार्टी

सूत्र ने कहा कि भाजपा के आंतरिक सर्वे में पार्टी को कम सीटें मिलती दिख रही हैं. ऐसे में भाजपा हाईकमान कोई रिस्क लेना नहीं चाहता है. दरअसल, जजपा के साथ दिल्ली में अगर भाजपा का गठबंधन नहीं हुआ तो इसका नुकसान भाजपा को ज्यादा हो सकता है. जजपा हर हाल में दिल्ली का चुनाव लड़ना चाहती है. पार्टी ने संकेत दिया है कि गठबंधन नहीं होने की सूरत में जजपा 10 से 12 उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है. जजपा इस बाबत गुरुवार को एक और बैठक करने जा रही है.

उल्लेखनीय है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सटीं लगभग 15 सीटें ऐसी हैं, जहां जाट वोट बहुलता में है. जजपा इन्हीं सीटों पर फोकस कर रही है. दिल्ली में भाजपा और इनेलो ने 1998 का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था. उस समय इनेलो को नजफगढ़, महिपालपुर और बवाना सीटें दी गई थीं. हलांकि इनेलो एक भी सीट जीत नहीं पाई थी, लेकिन 2008 में नजफगढ़ से इनेलो ने जीत हासिल की थी. दुष्यंत को लगता है कि बाहरी दिल्ली में वह बेहतर कर सकते हैं और इसीलिए भाजपा भी उन्हें भाव दे रही है.