अर्थव्यवस्था के साथ देश में रोजगार और लोगों की आमदनी भी बढ़े : आदित्य ठाकरे

अर्थव्यवस्था के साथ देश में रोजगार और लोगों की आमदनी भी बढ़े : आदित्य ठाकरे

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IANS
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अर्थव्यवस्था के साथ देश में रोजगार और लोगों की आमदनी भी बढ़े : आदित्य ठाकरे

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 25 मई (आईएएनएस)। जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। शिवसेना (यूबीटी) के विधायक उद्धव ठाकरे ने रविवार को इस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इसके साथ ही देश में रोजगार बढ़ाने की भी जरूरत है।

उद्धव ठाकरे ने यहां मीडिया से बात करते हुए कहा, अर्थव्यवस्था बढ़ती जाए, लेकिन इसके साथ देश में रोजगार भी बढ़े, लोगों की आमदनी भी बढ़े और उनकी खुशी भी बढ़े। देश में आज सबसे बड़ी दिक्कत बेरोजगारी और महंगाई है। सरकार इन विषयों पर गंभीर है कि नहीं, यह पता ही नहीं चलता है।

दरअसल, नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की 10वीं बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने पुष्टि की कि भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा, मैं जब बोल रहा हूं, तब हम चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। मैं जब बोल रहा हूं, तब हम चार ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं। और यह मेरा डाटा नहीं है, यह आईएमएफ डाटा है। आज भारत जापान से बड़ा है। जीडीपी के मामले में अब केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से आगे हैं।

ऑपरेशन सिंदूर पर भाजपा सांसद सी.पी. जोशी के हालिया बयान पर आदित्य ठाकरे ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, यह भाजपा की मानसिकता है। जो वे छुपाना चाहते थे और जो उनके मन में है, वह बाहर आ गया।

पीएम मोदी की अध्यक्षता में रविवार को एनडीए के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की बैठक में ऑपरेशन सिंदूर समेत कई मुद्दों पर चर्चा होने को लेकर आदित्य ठाकरे ने कहा, सवाल यह है कि अगर दुनिया भर में हम ऑल पार्टी डेलिगेशन भेज रहे हैं और हम सभी भारतीय हैं, तो फिर यहां पर क्यों एनडीए और नॉन-एनडीए पर वाद हो रहा है। सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाना चाहिए। दो-तीन बॉर्डर राज्यों के मुख्यमंत्री दूसरी पार्टी के हैं, दूसरे देश के तो नहीं हैं? भारत एक ही देश है। ऐसे में एनडीए हो या नॉन-एनडीए हों, सभी मुख्यमंत्रियों को बुलाना चाहिए और सभी को ब्रीफ करना चाहिए। हमारी मांग है कि संसद का सत्र बुलाना चाहिए।

--आईएएनएस

एससीएच/एकेजे

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