भोपाल, 5 अगस्त (आईएएनएस)। भोपाल जोनल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एडवांटेज ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड (एओपीएल) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए) के तहत तलाशी अभियान चलाया। यह तलाशी अभियान ऐसे महत्वपूर्ण प्रमाणों की बरामदगी में सफल रहा है जिनसे यह साबित होता है कि कंपनी के कर्मचारियों और बेनामीदारों के नाम पर कई कंपनियां खोली गई थीं, जिनका उद्देश्य अपराध की आय को धोखाधड़ी से साफ करना और संदेहास्पद लेन-देन के माध्यम से उच्च मूल्य की अचल संपत्तियों की खरीद करना था।
यह जांच सीबीआई, बीएसएफसी, नई दिल्ली द्वारा एडवांटेज ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड (ऋणी कंपनी) और इसके निदेशकों/संबंधित व्यक्तियों और अज्ञात सार्वजनिक अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर प्रारंभ की गई थी।
इन धाराओं के तहत कंपनी पर धोखाधड़ी, सुरक्षा, जालसाजी और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 1266.63 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के आरोप हैं। ईडी की जांच से यह सामने आया कि एओपीएल ने पहले बैंक से 100 गुना अधिक टर्नओवर दिखाकर अनुचित लाभ उठाया।
इसके बाद कंपनी ने संबंधित पक्षों के साथ लेन-देन किए और बैंक के फंड्स को खुद और अपनी सहयोगी कंपनियों के नाम पर 73 विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से बिना सुरक्षा के ऋण के रूप में डायवर्ट कर लिया।
एओपीएल ने यह घोषित किया कि कंपनी एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) में चली गई है और एसबीआई ने इसके खिलाफ एनसीएलटी में आवेदन दायर किया। तलाशी अभियान के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों की बरामदगी हुई है।
इन दस्तावेजों से यह भी सामने आया है कि कंपनी के निदेशक और उनके सहयोगियों ने भारत और विदेश में महत्वपूर्ण चल और अचल संपत्तियां अर्जित की हैं।
अब तक की जांच में जो संपत्तियां पहचानी गई हैं, उनकी कुल अनुमानित कीमत 300 करोड़ रुपए से अधिक है। वर्तमान में जांच जारी है और इस मामले में और भी जानकारी प्राप्त की जा रही है।
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