अंग्रेजी भाषा के साहित्यकार अमिताभ घोष, जिन्होंने अनूठी लेखनी के जरिए बनाई पहचान

अंग्रेजी भाषा के साहित्यकार अमिताभ घोष, जिन्होंने अनूठी लेखनी के जरिए बनाई पहचान

अंग्रेजी भाषा के साहित्यकार अमिताभ घोष, जिन्होंने अनूठी लेखनी के जरिए बनाई पहचान

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IANS
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अंग्रेजी भाषा के साहित्यकार अमिताभ घोष, जिन्होंने अनूठी लेखनी के जरिए बनाई पहचान

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 10 जुलाई (आईएएनएस)। अमिताभ घोष भारतीय मूल के उन चुनिंदा लेखकों में से एक हैं, जिन्होंने अंग्रेजी साहित्य में वैश्विक स्तर पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इतिहास, पर्यावरण और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों को अपनी कथाओं में बुनने की उनकी अद्भुत कला ने उन्हें न केवल साहित्यिक हलकों में प्रशंसा दिलाई, बल्कि पाठकों के बीच भी गहरा प्रभाव छोड़ा।

उनकी लेखनी में गहन शोध, संवेदनशीलता और वैश्विक दृष्टिकोण का अनूठा संगम दिखता है, जो उन्हें समकालीन साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनाता है।

अमिताभ घोष का जन्म 11 जुलाई, 1956 को कोलकाता में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में हुई। यह शैक्षिक पृष्ठभूमि उनकी रचनाओं में स्पष्ट रूप से झलकती है, जहां वह जटिल सामाजिक और ऐतिहासिक संरचनाओं को सरल कथाओं के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। उनकी पहली पुस्तक, द सर्कल ऑफ रीजन (1986) ने उन्हें तुरंत आलोचकों की नजर में ला खड़ा किया।

यह उपन्यास एक रहस्यमयी कथानक के साथ-साथ विज्ञान और दर्शन के बीच संवाद की खोज करता है। हालांकि घोष को विश्व स्तर पर पहचान उनकी दूसरी कृति द शैडो लाइन्स (1988) से मिली, जिसने साहित्यिक जगत में उनकी स्थिति को और मजबूत किया। यह उपन्यास भारत-पाकिस्तान विभाजन और राष्ट्रीय सीमाओं के मानवीय प्रभावों की पड़ताल करता है। उनकी लेखनी में खास बात यह है कि पाठक स्वतः ही कथानक के साथ जुड़ जाता है। इसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

अमिताभ घोष की रचनाओं में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन का मुद्दा भी प्रमुखता से उभरता है। उनकी पुस्तक द ग्रेट डिरेंजमेंट: क्लाइमेट चेंज एंड द अनथिंकेबल (2016) में उन्होंने साहित्य और संस्कृति में जलवायु संकट की अनदेखी पर गंभीर सवाल उठाए। वह तर्क देते हैं कि साहित्य ने इस वैश्विक संकट को पूरी तरह से संबोधित नहीं किया, जो एक सांस्कृतिक विफलता है। उनकी हालिया किताब द न्यूटमेग्स कर्स में उन्होंने औपनिवेशिक इतिहास को पर्यावरणीय विनाश से जोड़ा, जिसे आलोचकों ने उनकी दूरदर्शिता के लिए सराहा।

अमिताभ घोष की लेखनी में भारतीयता और वैश्विकता का अनूठा मेल है। वह अंग्रेजी में लिखते हैं, लेकिन उनकी कहानियां भारतीय संवेदनाओं और दक्षिण एशियाई इतिहास से गहरे जुड़ी हैं। उनकी रचनाएं भाषा और संस्कृति की सीमाओं को पार करती हैं, जिसके कारण वह विश्व साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। हाल ही में अमिताभ घोष की रचनाएं और विचार साहित्यिक मंचों पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। 2025 में उनकी कृतियों को वैली ऑफ वर्ड्स बुक अवॉर्ड्स की लॉन्गलिस्ट में शामिल किया गया, जो उनकी निरंतर प्रासंगिकता को दर्शाता है।

अमिताभ घोष की उपलब्धियां हमें यह याद दिलाती हैं कि साहित्य केवल कहानियां सुनाने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने और भविष्य को आकार देने का एक शक्तिशाली हथियार भी है। उनकी रचनाएं हमें सोचने, समझने और बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती हैं।

वर्तमान में अमिताभ घोष न्यूयॉर्क में रहते हैं और लेखन के साथ-साथ विभिन्न विश्वविद्यालयों में गेस्ट प्रोफेसर के रूप में भी कार्य करते हैं। घोष का साहित्य न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि समाज को गहरे सवालों के साथ छोड़ता है, जो हमें अपने इतिहास, वर्तमान और भविष्य पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

--आईएएनएस

एकेएस/जीकेटी

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