अमरावती, 9 जून (आईएएनएस)। वाईएसआरसीपी के राज्य महासचिव सज्जला रामकृष्ण रेड्डी ने आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार पर अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार कोमिनेनी श्रीनिवास राव की अवैध गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला करार दिया। सज्जला ने कहा कि यह कार्रवाई नायडू सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाने का प्रयास है।
दरअसल मामला 6 जून को शुरू हुआ, जब कोमिनेनी श्रीनिवास राव साक्षी मीडिया टीवी चैनल पर एक बहस का संचालन कर रहे थे। इस दौरान एक विश्लेषक, जो स्वयं पत्रकार है, ने कुछ ऐसी टिप्पणियां कीं, जिन्हें कुछ लोगों ने आपत्तिजनक माना।
सज्जला के अनुसार, कोमिनेनी ने तुरंत आपत्ति जताई और विश्लेषक को रोकने की कोशिश की। हालांकि अगले दिन तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने वाईएसआरसीपी नेताओं और साक्षी मीडिया की चेयरपर्सन भारती रेड्डी के खिलाफ चरित्र हनन का अभियान शुरू किया।
सज्जला ने दावा किया कि टीडीपी ने जानबूझकर गलत सूचना फैलाई और मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। यह जनता को गुमराह करने का सुनियोजित प्रयास था। कोमिनेनी ने टिप्पणियों को रोकने की कोशिश की और ये टिप्पणियां चैनल या किसी समाचार पत्र का हिस्सा नहीं थीं।
सज्जला ने आरोप लगाया कि टीडीपी ने अपने प्रचार चैनलों के जरिए इस मुद्दे को बढ़ावा दिया और सड़क पर रैलियों का आयोजन करवाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पांच साल से सत्ता विरोधी लहर का सामना किया है और बलात्कार, नाबालिग लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार और संगठित अपराध जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए उन्होंने कोमिनेनी श्रीनिवास राव को गिरफ्तार किया है। यह एक अवैध गिरफ्तारी है। वे पिछले एक साल में काम करने में विफल रहे और अब वे अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं। इतना ही नहीं वे साक्षी मीडिया के कार्यालयों पर हमले कर रहे हैं, जो प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर हमला है।
सज्जला ने टीडीपी द्वारा नियंत्रित चैनलों पर एकतरफा और अपमानजनक बहसों की निंदा की। उन्होंने कहा, हम प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर इसे बर्दाश्त कर रहे हैं, लेकिन अगर यह जारी रहा, तो हमें इसके खिलाफ कदम उठाना पडे़गा।
उन्होंने चंद्रबाबू नायडू से इस तरह के व्यवहार से बचने की अपील की और कहा कि वाईएसआरसीपी कोमिनेनी श्रीनिवास राव का समर्थन करेगी। यह गिरफ्तारी न केवल कोमिनेनी, बल्कि पूरे पत्रकारिता समुदाय और लोकतंत्र पर हमला है। हम सरकार और उसके मुखिया चंद्रबाबू नायडू से अनुरोध करते हैं कि वे इस तरह के व्यवहार से बचें।
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