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यूएनजीए में वैश्विक नेताओं ने अफगानिस्तान पर दी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया

यूएनजीए में वैश्विक नेताओं ने अफगानिस्तान पर दी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया

IANS
| Edited By :
25 Sep 2021, 03:20:01 PM (IST)

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) को संबोधित करते हुए, दुनिया के कई नेताओं ने अफगानिस्तान में वर्तमान स्थिति पर अपने विचार प्रकट किए हैं।

दक्षिण एशियाई देश अफगानिस्तान से 20 साल बाद अमेरिका द्वारा अपने सैनिकों को वापस बुलाए जाने के साथ ही तालिबान की ओर से देश पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया गया है और इसने एक कार्यवाहक सरकार का गठन किया है। इस बीच यूएनजीए की बैठक हुई है और वैश्विक नेताओं ने अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को अपने संबोधन में, जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर ने कहा कि अफगानिस्तान में विफलता दिखाती है कि केवल सैन्य ताकत काम नहीं करती है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र की आम बहस के दौरान उन्होंने कहा, समझौता बनाने की इच्छा के बिना, कूटनीति में शामिल होने के साहस के बिना सैन्य ताकत दुनिया को और अधिक शांतिपूर्ण नहीं बनाती है।

उन्होंने कहा, हमें बातचीत की मेज पर ताकत की जरूरत है, जैसे हमें रक्षा में ताकत की जरूरत होती है।

काबुल के पतन को अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताते हुए उन्होंने कहा, हमने 20 साल पहले इस शहर (न्यूयॉर्क के) पर भयानक आतंक फैलाने वालों को हराने के अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया था। लेकिन अपार प्रयासों और निवेश के बावजूद, हम दो दशकों में अफगानिस्तान में एक आत्मनिर्भर राजनीतिक व्यवस्था स्थापित करने में सक्षम नहीं रहे। मेरा देश भी जिम्मेदारी साझा करता है।

उन्होंने आगे कहा, इसके अलावा हमारी एक निरंतर जिम्मेदारी है, विशेष रूप से कई अफगानों के प्रति, जिन्होंने अधिक शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भविष्य की आशा की थी।

जर्मन राष्ट्रपति ने कहा, हमें अपने उपकरणों का चयन करने और अपनी प्राथमिकताओं को निर्धारित करते हुए होशियार रहने की आवश्यकता है। जर्मन और यूरोपीय विदेश नीति को खुद को सही होने और दूसरों की निंदा करने तक सीमित नहीं रखना चाहिए। हमें अपने टूलबॉक्स का विस्तार करने की आवश्यकता है - राजनयिक, सैन्य, नागरिक, मानवीय।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए एक पूर्व-रिकॉर्डेड संदेश में, जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने कहा, यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि मानवीय सहायता संगठन सुरक्षित रूप से सहायता प्रदान कर सके और मानवाधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो।

उन्होंने कहा, हम तालिबान के कार्यों की सावधानीपूर्वक निगरानी करेंगे, यह देखने के लिए कि वे सार्वजनिक रूप से घोषित प्रतिबद्धताओं का सम्मान करेंगे या नहीं। हम संबंधित देशों और संगठनों के साथ मिलकर काम करेंगे।

इस मुद्दे पर डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने कहा कि युद्धग्रस्त राष्ट्र में मौजूदा स्थिति अफगानिस्तान के लंबे समय से पीड़ित लोगों, महिलाओं और बच्चों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए परेशानी खड़ी कर रही है।

उन्होंने कहा, हमें एक मजबूत और समन्वित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। पिछले सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय दाता सम्मेलन में योगदान एक महत्वपूर्ण कदम था।

कुवैती अमीर शेख सबा अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह ने भी अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता व्यक्त की।

उन्होंने तालिबान आंदोलन और सभी संबंधित पक्षों से रक्तपात को रोकने, नागरिकों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने, अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने के साथ ही देश की सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए अत्यधिक आत्म-संयम बरतने का आह्वान किया।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर बोलते हुए कहा, हम एक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध दक्षिण एशिया की कल्पना करते हैं। हमारा ²ढ़ विश्वास है कि यह अफगानिस्तान के लोगों पर है कि वे अपने देश का पुनर्निर्माण करें और भविष्य की दिशा खुद तय करें।

उन्होंने आगे कहा, बांग्लादेश अपने सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अफगानिस्तान के लोगों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करना जारी रखने के लिए तैयार है।

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