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तालिबान किसे सौंपेगा बगराम एयरबेस, अफगानिस्तान में बढ़ा चीन का दखल  

तालिबान अफगानिस्तान में सक्रिय अन्य आतंकी संगठनों को रोकने के लिए बगराम एयरबेस को किसी तीसरे देश को सौंपने पर विचार कर रहा है.

News Nation Bureau
| Edited By :
29 Oct 2021, 10:28:31 PM (IST)

highlights

  • चीन ने ताजिकिस्तान में एक और सैन्य अड्डा खोलने का किया फैसला  
  • मध्य एशियाई देश अफगानिस्तान के हालात को लेकर चिंतित
  • तालिबान अमेरिका को बगराम एयरबेस सौंपने पर कर रहा विचार  

नई दिल्ली:

चीन के शीर्ष अधिकारी और नेता अफगानिस्तान की यात्रा कर रहे हैं. अमेरिका के काबुल छोड़ने के साथ ही यात्रा का क्रम बढ़ गया है. चीन अफगानिस्तान में दखल बढ़ाने को बेताब है. तालिबान के सत्ता में आने के बाद से चीनी नेताओं ने कई बार तालिबान प्रतिनिधिमंडल से मिलकर देश में आगामी प्रोजेक्टों पर बात कर चुके हैं. तालिबान अफगानिस्तान में सक्रिय अन्य आतंकी संगठनों को रोकने के लिए बगराम एयरबेस को किसी तीसरे देश को सौंपने पर विचार कर रहा है. इस तीसरे देश की लिस्ट में चीन, पाकिस्तान और अमेरिका जैसे देश सबसे ऊपर हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तालिबान सरकार में रक्षामंत्री मुल्ला याकूब और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) समर्थित गृहमंत्री और ग्लोबल आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी के बीच जारी टकराव का फायदा आतंकी संगठन उठा रहे हैं.

मौजूदा वक्त में अमेरिका अल कायदा और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों को लेकर चिंतित है क्योंकि हक्कानी नेटवर्क तालिबान सरकार चला रहा है.इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासन भी अफगानिस्तान में अपने पैर पसार रहा है.चीन उइगर आतंकियों को लेकर बेहद अलर्ट है तो भारत जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से अलर्ट है.

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चीन ने वखान कॉरिडोर की निगरानी के लिए ताजिकिस्तान में एक और सैन्य अड्डा खोलने का फैसला किया है.इसके जरिए चीन अपने अशांत प्रांत शिनजियांग के साथ ही अफगानिस्तान पर भी नजर रखना चाहता है.अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को लेकर भी चीन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासन जैसे आतंकी संगठनों से चिंतित दिखाई दे रहा है.

सिर्फ चीन ही नहीं, मध्य एशियाई देश भी अफगानिस्तान के हालात को लेकर चिंतित हैं क्योंकि अफगानिस्तान उज्बेकिस्तान के इस्लामी आंदोलन और पूर्वी तुर्किस्तान आजादी आंदोलन का केंद्र बनता दिख रहा है.जो बाइडेन प्रशासन खुले तौर पर अफगानिस्तान में अल कायदा की उपस्थिति को स्वीकार कर रहा है लेकिन अमेरिका वापस अभी अफगानिस्तान का रुख नहीं करना चाहता है.और तालिबान की वायुशक्ति इतनी नहीं है कि वह आतंकी गुटों का सफाया कर सके.

ऐसे हालात में तालिबान बगराम एयरबेस को किसी और देश को सौंपने को लेकर विचार कर रहा है.पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान इस एयरबेस को चीन को सौंप दे लेकिन तालिबान का एक गुट इसे बीजिंग को सौंपने के विरोध में है.तालिबान अमेरिका को भी बगराम एयरबेस सौंपने पर विचार कर रहा है ताकि सालों से युद्धग्रस्त देश को जरूरी मानवीय सहायता मिल सके.