.

चीन ने तालिबान सरकार से मांग ली कुछ ऐसी चीज, मुल्ला बरादर रह गए हक्के-बक्के

पाकिस्तान के दूतावास प्रमुख तालिबान के उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से भी मुलाकात की. दोनों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई. हालांकि इनके बीच किन मुद्दों पर चर्चा हुई ये बात अभी सामने नहीं आया है. 

News Nation Bureau
| Edited By :
02 Oct 2021, 08:29:38 AM (IST)

highlights

  • तालिबान ने डिनर पर राजदूतों को बुलाया
  • चीन ने तालिबान के सामने रखी कुछ शर्त
  • राजमार्ग और हवाई अड्डे को अधीन करना चाहता है चीन 

नई दिल्ली :

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार तो बन गई, कुछ एक देश को छोड़कर किसी भी मुल्क ने तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दी है. तालिबान मान्यता पाने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. इसी के तहत बीती रात काबुल में तालिबानी सरकार ने चीन समेत दुनिया के कुछ देशों के प्रमुख राजदूतों को डिनर पर बुलाया.  डिनर के बहाने तालिबान इस कोशिश में था कि पूरी दुनिया उसे एक सरकार की नजर से देखें. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने दूतावास प्रमुखों को कई ऑफर भी दिए हैं. वहीं पाकिस्तान के दूतावास प्रमुख तालिबान के उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से भी मुलाकात की. दोनों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई. हालांकि इनके बीच किन मुद्दों पर चर्चा हुई ये बात अभी सामने नहीं आया है. 

चीन ने तालिबान को डाला पशोपेश में 
 
वहीं, चीन भी तालिबान सरकार का फायदा उठाने में लगा हुआ है. चीन ने तालिबान से कुछ ऐसा मांगा है जिसे लेकर तालिबान पशोपेश में है. चीन ने अफगानिस्तान के राजमार्गो और हवाई अड्डों को अपने अधीन लेने की बात कही है. दरअसल चीन लगातार पाकिस्तान के ग्वादर इलाके से चीन को जोड़ने वाले अफगानिस्तान के रास्तों को बेहतर करने की बात करता है आया है.

चीन अफगानिस्तान के जरिए घुसना चाहता है पाकिस्तान में

चीन की ये कोशिश पाकिस्तानी बंदरगाहों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लेकर है. चीन अफगानिस्तान के राजमार्गों को बेहतर करके पाकिस्तान के भीतर आसानी से पहुंच सकता है. यहां वो बंदरगाहों पर कब्जा कर सकता है. चीन का कर्जदार पाकिस्तान को इस बात से कोई ऐतराज भी नहीं है. लेकिन इससे भारत के सामने मुश्किल पैदा जरूर हो सकती है.

इसे भी पढ़ें:भारत का बड़ा फैसला- ब्रिटेन से आने वालों के लिए इतने दिन का क्वारंटाइन जरूरी

तालिबान का एक धड़ा इसके विरोध में 

डिनर डिप्लोमेसी में चीन ने तालिबान सरकार के सामने अपनी मांग तो रख दी. लेकिन तालिबान सरकार के लिए ना तो हां बोलते बन रहा है और ना ही ना. अगर तालिबान मना करता है तो चीन से मिलने वाली मदद पर अंकुश लग सकता है. अगर हां करता है तो न सिर्फ अफगानिस्तान बल्कि पाकिस्तान की सरहदों को जोड़ने के प्रमुख रास्ते खुल जाएंगे. तालिबान का एक धड़ा इसके विरोध में हैं.  तालिबान सरकार चीन को किस तरह हैंडल करता है. इसपर दुनिया की नजर होगी.