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तालिबान ने की भारत को उकसाने वाली हरकत, सेना की यूनिट का नाम रखा पानीपत

भारत के लिए सिरदर्द समझे जाने वाले तालिबान ने अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया है. तालिबान ने अपनी सेना की एक यूनिट का नाम पानीपत रखा है.

News Nation Bureau
| Edited By :
13 Apr 2022, 04:00:21 PM (IST)

highlights

  • तालिबान का असली चेहरा आया सामने
  • भारत को नीचा दिखाने की हरकत
  • सेना की टुकड़ी का नाम रखा पानीपत

नई दिल्ली:

भारत के लिए सिरदर्द समझे जाने वाले तालिबान ने अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया है. तालिबान ने अपनी सेना की एक यूनिट का नाम पानीपत रखा है. माना जा रहा है कि तालिबान ने ऐसा भारत को चिढ़ाने के लिए किया है. काबुल से प्रकाशित होने वाली अमाज न्यूज में छपी खबर के मुताबिक तालिबान ने नांगरहार प्रांत में सेना की एक ऑपरेशनल यूनिट का गठन किया है, जिसका नाम पानीपत रखा है. आम तौर पर तालिबान इस्लामिक नाम रखता है, लेकिन यह पहली बार है, जब तालिबान से भारत के ऐसे स्थान के नाम पर अपनी सेना की यूनिट का नाम रखा है, जो अफगानों की शौर्य और भारत की हार का प्रतीक है. लिहाजा, ऐसा माना जा रहा है कि तालिबान ने भारत को नीचा दिखाने और उकसाने के लिए इस नाम का इस्तेमाल किया है.  

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इतिहास के पन्ने में पानीपत
पानीपत, हरियाणा में मात्र 56 वर्ग किमी में फैला एक छोटा सा जिला है, जो करनाल लोकसभा क्षेत्र में आता है. यह जिला यूं तो अपने हैंडलूम के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है. लेकिन भारत के इतिहास की दृष्टि से यह बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है. इस जिले में होने वाले युद्धों ने भारत के इतिहास को पूरी तरह से बदल कर रख दिया था. दरअसल, यहां सन 1526, 1556 और 1761 में तीन अहम युद्ध लड़े गए थे. पानीपत की पहली लड़ाई में खुरासान से आने वाले बाबर ने इब्राहिम लोधी को हराकर भारत पर कब्जा कर लिया. यहीं से भारत में मुगल राज की स्थापना हुई. इसके बाद 5 नवंबर, 1556 को पानीपत की दूसरी लड़ाई हुई. यह लड़ाई सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य, (हेमू) और अकबर की बीच लड़ा गया. पानीपत की तीसरी लड़ाई वर्ष 1761 में मराठा सेनापति सदाशिव राव भाऊ और अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली की सेना के बीच हुई थी. इस युद्ध में मराठों की बहुत बुरी शिकस्त हुई. यह युद्ध अफगानों की विजय और भारत की हार का प्रतीक है, इसीलिए तालिबान ने पानीपत के नाम का इस्तेमाल भारत को नीचा दिखाने के लिए कर रहा है.