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पीएम मोदी का बर्लिन में जोरदार स्वागत, भारतीयों ने लिया हाथ-ओ-हाथ

सूत्रों ने कहा कि द्विपक्षीय सहयोग उच्च स्तरीय बैठकों का केंद्र बिंदु होगा, लेकिन चर्चा के दौरान यूक्रेन की स्थिति भी सामने आ सकती है.

News Nation Bureau
| Edited By :
02 May 2022, 12:05:22 PM (IST)

highlights

  • पीएम मोदी का बर्लिन में हुआ जोरदार स्वागत
  • आज होगी चांसलर ओलफ स्कोल्ज से मुलाकात
  • साल की पहली तीन देशों की विदेश यात्रा 

नई दिल्ली:

साल की पहली विदेश यात्रा पर बर्लिन पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारतीय समुदाय ने दिल खोल कर स्वागत किया. आलम यह था तमाम भारतीय सिर्फ उनसे एक मुलाकात करने कई सौ किमी की यात्रा कर पहुंचे थे. गौरतलब है कि जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की तीन देशों की यात्रा में पीएम मोदी का पहला यह पड़ाव है. जर्मनी की राजधानी में उतरते ही मोदी ने ट्वीट किया, 'बर्लिन में उतरा. आज मैं चांसलर ओलफ स्कोल्ज के साथ बातचीत करूंगा, उद्योगपतियों के साथ बातचीत करूंगा और एक सामुदायिक कार्यक्रम को संबोधित करूंगा. मुझे विश्वास है कि यह यात्रा भारत और जर्मनी के बीच दोस्ती को बढ़ावा देगी.'

द्विपक्षीय सहयोगों पर होगी चर्चा
सूत्रों ने कहा कि द्विपक्षीय सहयोग उच्च स्तरीय बैठकों का केंद्र बिंदु होगा, लेकिन चर्चा के दौरान यूक्रेन की स्थिति भी सामने आ सकती है. बैठक के दौरान मुख्य एजेंडे में से एक कोविड के बाद आर्थिक सुधार भी होगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'इस साल अपनी पहली विदेश यात्रा पर, पीएम नरेंद्र मोदी बर्लिन में गर्मजोशी के साथ पहुंचे. भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को फिर से मजबूत करने, हमारे व्यापक सहयोग को आगे बढ़ाने और बहुपक्षीय समन्वय बढ़ाने के लिए तत्पर हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बर्लिन यात्रा चांसलर स्कोल्ज के साथ विस्तृत द्विपक्षीय चर्चा करने का अवसर होगी.

भारत-जर्मनी संबंधों के हो गए 70 साल
उन्होंने कहा, 'हम छठे भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता करेंगे, एक अद्वितीय द्विवार्षिक प्रारूप जिसे भारत केवल जर्मनी के साथ आयोजित करता है. कई भारतीय मंत्री भी जर्मनी की यात्रा करेंगे और अपने जर्मन समकक्षों के साथ परामर्श करेंगे. उन्होंने कहा, 'आईजीसी की जर्मनी में नई सरकार के गठन के छह महीने के भीतर शुरुआती जुड़ाव है, जो मध्यम और लंबी अवधि के लिए हमारी प्राथमिकताओं की पहचान करने में मददगार होगा.' 2021 में, भारत और जर्मनी ने राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 साल पूरे किए और 2000 से रणनीतिक साझेदार रहे हैं. उन्होंने कहा, 'मैं चांसलर स्कोल्ज के साथ रणनीतिक, क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए उत्सुक हूं, जो हम दोनों से संबंधित हैं.'