.

टेरर फंडिंग रोकने में नाकाम इमरान खान, FATF की ग्रे लिस्ट में ही रहेगा पाकिस्तान

फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) से शुक्रवार को वैश्विक आतंकवाद की पनाहगाह बने पाकिस्तान (Pakistan) को झटका लगा है. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान (Pak PM Imran Khan) अपने देश में टेरर फंडिंग (Terror Financing) रोकने में नाकाम रहे.

News Nation Bureau
| Edited By :
23 Oct 2020, 07:33:01 PM (IST)

नई दिल्‍ली:

फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) से शुक्रवार को वैश्विक आतंकवाद की पनाहगाह बने पाकिस्तान (Pakistan) को झटका लगा है. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान (Pak PM Imran Khan) अपने देश में टेरर फंडिंग (Terror Financing) रोकने में नाकाम रहे, इसलिए पाकिस्तान आगे भी FATF की ग्रे लिस्ट में ही रहेगा. दो साल पहले ग्रे लिस्ट में डाला गया था.

पेरिस में हुई फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (FATF) की बैठक में शुक्रवार को पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा फैसला लिया गया है. इसके तहत FATF की ग्रे लिस्ट में ही पाकिस्तान रहेगा. पाकिस्तान पर फैसला आने से पहले आतंकवादियों (Terrorists) को अपनी जमीन पर पनाह देने और उसकी फंडिंग रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाने के आरोप पर भारत ने आईना दिखाया था. 

भारत ने गुरुवार को पाकिस्तान पर आतंकी समूहों को शरण देने और संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की लिस्ट में शामिल जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर और दाउद इब्राहिम के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम होने का आरोप लगाया था. भारत ने सीधे-सीधे कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कही संस्थाओं और लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है. 

गौरलतब है कि भारत में वांछित आतंकवादियों मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने समेत एफएटीएफ (FATF) के दिए छह प्रमुख कार्यों को पूरा नहीं करने तथा उसकी आधिकारिक सूची से अचानक से 4,000 से अधिक आतंकवादियों के गायब हो जाने के बाद पाकिस्तान के ‘ग्रे सूची’ में ही बने रहने की संभावना जताई जा रही थी, जोकि सत्य साबित हो गया.

पाकिस्तान ने जिन कार्यों को पूरा नहीं किया है. उनमें जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद और संगठन के ऑपरेशनल कमांडर जाकिउर रहमान लखवी जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है. साथ ही एफएटीएफ ने इस बात का पुरजोर संज्ञान लिया था कि आतंकवाद रोधी कानून की अनुसूची पांच के तहत पाकिस्तान की 7,600 आतंकियों की मूल सूची से 4,000 से अधिक नाम अचानक से गायब हो गए.