Imran Khan ने फिर की भारत की विदेश नीति की तारीफ, कहा- 'मुक्त और स्वतंत्र'
पूर्व वजीर-ए-आजम इमरान खान ने सबसे पहले अक्टूबर में भारत की विदेश नीति की सराहना करते हुए कहा था कि भारत रूस से तेल आयात करने में सक्षम था, जबकि पाकिस्तान पश्चिम का गुलाम था क्योंकि वह अपने नागरिकों के कल्याण के लिए निडर निर्णय लेने में असमर्थ रही.
highlights
- पाकिस्तान के पूर्व वजीर-ए-आजम इमरान खान मोदी सरकार के मुरीद
- कई मौकों पर भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की कर चुके हैं सराहना
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने फिर से भारत की विदेश नीति की तारीफ की है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अध्यक्ष इमरान खान ने शनिवार को वर्चुअल माध्यम से अपने लांग मार्च को संबोधित करते हुए कहा कि भारत (India) की विदेश नीति स्वतंत्र और स्वतंत्र है. एएनआई के मुताबिक रूस (Russia) से तेल खरीदने के भारत के फैसले के बारे में बोलते हुए, खान ने कहा, 'मुझे भारत का उदाहरण लेना चाहिए, जो हमारे साथ-साथ आजाद हुआ था. अब इसकी विदेश नीति को देखें. यह एक स्वतंत्र और स्वतंत्र विदेश नीति (Foreign Policy) का अनुसरण करता है. भारत अपने निर्णयों के पक्ष में डट कर खड़ा रहता है कि अपने नागरिकों के हित में रूस से तेल खरीदेंगे.'
कई बार कर चुके हैं मोदी सरकार की तारीफ
यूक्रेन युद्ध के बीच पश्चिम के दबाव के बावजूद मोदी सरकार के अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप रूसी तेल की खरीद की सराहना करते हुए इमरान खान ने कहा कि भारत और अमेरिका क्वाड सहयोगी हैं. इसके बावजूद भारत ने अपने नागरिकों के हित में रूस से तेल खरीदने का फैसला किया. देश में जल्द चुनाव कराने के लिए पाकिस्तान में लांग मार्च का नेतृत्व कर रहे इमरान खान ने बार-बार भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है. खान ने पहले अक्टूबर में भारत की विदेश नीति की यह कहते हुए सराहना की थी कि भारत अपनी मर्जी से रूस से तेल आयात करने में सक्षम था, जबकि पाकिस्तान पश्चिम का गुलाम था, क्योंकि वह अपने नागरिकों के कल्याण के लिए निडर निर्णय लेने में असमर्थ था. इससे पहले नवंबर में इमरान खान ने मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा था कि भारत ने अमेरिका के साथ गरिमापूर्ण संबंधों का भरपूर लाभ उठाया है.
अमेरिका ने भी भारत को दे रखी है छूट
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते संयुक्त राज्य के ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने कहा था कि भारत जितना चाहे उतना रूसी तेल खरीद सकता है. वह भी तब जब जी 7-लगाए गए मूल्य नियंत्रण से ऊपर की कीमतें शामिल हैं. इसके पहले पश्चिम के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीदने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया था. भारतीय विदेश मंत्री एस जयसंकर ने दो टूक कहा था कि भारत अपने नागरिकों और राष्ट्रीय हितों के अनुरूप फैसला लेने से पीछे नहीं हटेगा.