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2022, 2023 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विकास रहेगा धीमा: IMF

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास 2022 और 2023 में धीमा होने की उम्मीद है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि यह वैश्विक वित्तीय तंगी और रूस-यूक्रेन युद्ध सहित कई पहलुओं से विपरीत परिस्थितियों को दर्शाता है. आईएमएफ ने कहा कि इस साल की शुरूआत में एशिया का मजबूत आर्थिक पलटाव उम्मीद से कमजोर दूसरी तिमाही के साथ गति खो रहा है.

IANS
| Edited By :
28 Oct 2022, 05:08:49 PM (IST)

सिंगापुर:

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास 2022 और 2023 में धीमा होने की उम्मीद है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि यह वैश्विक वित्तीय तंगी और रूस-यूक्रेन युद्ध सहित कई पहलुओं से विपरीत परिस्थितियों को दर्शाता है. आईएमएफ ने कहा कि इस साल की शुरूआत में एशिया का मजबूत आर्थिक पलटाव उम्मीद से कमजोर दूसरी तिमाही के साथ गति खो रहा है.

इसने अप्रैल के पूवार्नुमानों की तुलना में एशिया और प्रशांत क्षेत्र के विकास के अनुमानों को इस वर्ष 4 प्रतिशत और अगले वर्ष 4.3 प्रतिशत, क्रमश: 0.9 और 0.8 प्रतिशत कम कर दिया. अप्रैल के आउटलुक में स्तर पिछले दो दशकों में 5.5 प्रतिशत के औसत से काफी नीचे थे.

हालांकि, आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्ण श्रीनिवासन का मानना था कि तेजी से घटती वैश्विक अर्थव्यवस्था में एशिया एक सापेक्ष उज्‍जवल स्थान पर बना हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी मौद्रिक नीति को सख्त करने के लिए और अधिक आक्रामक हो गया है क्योंकि अमेरिकी मुद्रास्फीति लगातार उच्च बनी हुई है. इसने एशिया के लिए कठिन वित्तीय स्थिती पैदा की हैं.

एशिया के अधिकांश देशों में नहीं बल्कि सभी देशों ने अपने व्यापार की शर्तों में गिरावट देखी है, और यह इस साल अब तक मुद्रा मूल्यह्रास के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक रहा है. श्रीनिवासन ने कहा कि नीति निर्माताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए मौद्रिक नीति को और सख्त करने की आवश्यकता होगी कि मुद्रास्फीति लक्ष्य पर लौट आए और मुद्रास्फीति की उम्मीदें अच्छी तरह से टिकी रहें. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सार्वजनिक ऋण को स्थिर करने और मौद्रिक नीति के रुख का समर्थन करने के लिए राजकोषीय समेकन की आवश्यकता है.