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CIA ने काबुल में करोड़ों रुपए के सैन्य उपकरणों को किया नष्ट, बोला तालिबान

तालिबान के अनुसार, अमेरिकी सैनिकों ने महत्वपूर्ण दस्तावेजों और सैकड़ों हमवी, बख्तरबंद टैंक और हथियारों को नष्ट कर दिया. इस्तेमाल लायक कुछ भी नहीं बचा.

News Nation Bureau
| Edited By :
08 Sep 2021, 01:09:41 PM (IST)

highlights

  • तालिबान ने कहा कि सीआईए ने ईगल सैन्य अड्डे को किया बरबाद
  • वाहन, सैन्य उपकरण और दस्तावेजों को जला दिया
  • सैकड़ों मिलियन डॉलर का सैन्य उपकरण जला दिया

नई दिल्ली :

तालिबान ने सोमवार को राजधानी काबुल में अमेरिकी खुफिया एजेंसी (सीआईए) के सबसे बड़े सैन्य अड्डे ‘ईगल’ के दरवाजे मीडियाकर्मियों के लिए खोले. तालिबान ने बताया कि अफगानिस्तान छोड़ने से पहले अमेरिकी कर्मियों ने सभी सैन्य उपकरणों, वाहनों और दस्तावेजों को आग के हवाले कर दिया था. ईगल में अब राख के सिवा कुछ नजर नहीं आता है.  'ईगल' सैन्य अड्डा काबुल के देह सब इलाके में स्थित है. यहां कथित तौर पर अमेरिकी खुफिया अधिकारी और अफगान एनडीएस 01 बल तैनात थे. अब यह कैंप तालिबान के कब्जे में हैं. 

तालिबान के अनुसार, अमेरिकी सैनिकों ने महत्वपूर्ण दस्तावेजों और सैकड़ों हमवी, बख्तरबंद टैंक और हथियारों को नष्ट कर दिया. 

सैकड़ों मिलियन डॉलर के उपकरण किए नष्ट

तालिबान ने कहा कि उन्हें नष्ट किए गए उपकरणों का सही मूल्य नहीं पता है, लेकिन उनका अनुमान है कि यह सैकड़ों मिलियन डॉलर में था. शिविर के कमांडर मावलावी अथनै ने कहा, 'जो कुछ भी इस्तेमाल किया जा सकता है था सबको उन्होंने जला दिया.'

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अमेरिकी सैनिकों ने सबकुछ आग के हवाले कर दिए

तालिबान लड़का मसाब जो अब इस शिविर की रखवाली कर रहा है उसने बताया कि वो आठ दिन ईगल में कैद रहा था. यह भयानक था. वो (अमेरिकी सैनिक) भाग रहे थे. उन्होंने सबकुछ नष्ट कर दिया. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. 

अमेरिका ने बारूदी सुरंग बिछा रखा होगा 

तालिबान ने मीडिया चैनल से बातचीत में बताया कि लड़ाकों को कुछ खुफिया कमरों में जाने से रोका दिया गया है. संगठन को आशंका है कि अमेरिका ने वहां बारूदी सुरंगें बिछा रखी हों, ताकि तालिबान लड़ाकों को नुकसान पहुंचाया जा सके. अमेरिकी सैनिकों ने जाने से पहले काबुल हवाई अड्डे पर सैन्य हार्डवेयर और हेलीकॉप्टरों को भी नष्ट कर दिया.

बता दें कि अफगानिस्तान में 20 साल तक लंबे युद्ध के बाद अमेरिका ने तालिबान को दिए गए आखिरी डेडलाइन से पहले ही 30 अगस्त को अफगानिस्तान छोड़ दिया था.