काबुल : देश छोड़ने के प्रयास में पासपोर्ट कार्यालय में लगी लंबी कतारें
काबुल : देश छोड़ने के प्रयास में पासपोर्ट कार्यालय में लगी लंबी कतारें
हमजा अमीर काबुल:
तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा यात्रा दस्तावेज जारी करना फिर से शुरू करने की घोषणा के एक दिन बाद काबुल में पासपोर्ट कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में लोग खड़े देखे गए।
शून्य के करीब तापमान गिरने के बावजूद, काफी लोग कार्यालय पहुंचे और वह रात को भी लाइन में लगे नजर आए। लोगों ने अगली सुबह तक लाइन में लगे रहकर धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की। पासपोर्ट कार्यालय में पहुंचे लोगों में कई ऐसे लोग शामिल थे, जो चिकित्सा उपचार के लिए देश छोड़ने के लिए बेताब थे, जबकि कई अन्य तालिबान के नए सिरे से इस्लामी शासन से दूर किसी देश में सुरक्षित पनाह लेना चाहते थे।
तालिबान सुरक्षाकर्मियों द्वारा बार-बार भीड़ से हाथापाई की घटना हुई और उन्होंने तर्क दिया कि वे नहीं चाहते कि भीड़ में कोई आतंकी हमला या आत्मघाती विस्फोट हो।
पासपोर्ट कार्यालय में ड्यूटी पर तैनात तालिबान सुरक्षाकर्मी अजमल तूफान ने कहा, यहां हमारी जिम्मेदारी लोगों की रक्षा करना है। लेकिन लोग सहयोग नहीं कर रहे हैं।
बता दें कि तालिबान के प्रमुख दुश्मन, इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ऐसी भीड़-भाड़ वाली सभाओं को निशाना बनाया है और सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान ली है।
सबसे बड़ा हमला अगस्त में काबुल हवाईअड्डे के बाहर हुआ था, जब स्थानीय लोग बड़ी संख्या में विदेशी बलों के साथ देश छोड़ने के प्रयास में एकत्र हुए थे।
चिकित्सा आधार पर पाकिस्तान पहुंचने की पुरजोर कोशिश कर रहे लोगों में से एक उस्मान अकबरी (60) ने कहा कि अफगानिस्तान में बर्बाद हो चुके अस्पताल उनके दिल की सर्जरी को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
उन्होंने कहा, डॉक्टरों ने मेरे दिल में स्टेंट डाला था, जिसे अब हटाने की जरूरत है और यह यहां संभव नहीं है।
पासपोर्ट कार्यालय के बाहर कई एम्बुलेंस भी मौजूद थीं, जिनमें इतने बीमार लोग थे कि दूसरों के साथ कतार में नहीं लग सकते थे।
एक एम्बुलेंस के चालक ने कहा, मरीज को दिल से संबंधित समस्या है, क्योंकि पासपोर्ट जारी करने के लिए आवेदक को व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ता है, इसलिए मरीज को यहां लाया गया है।
अफगानिस्तान तेजी से वित्तीय, आर्थिक और मानवीय संकटों में डूब रहा है।
देश की बिगड़ती स्थिति, तालिबान के अधिग्रहण के बाद विदेशी सहायता के पूर्ण रुकावट के कारण शुरू हुई, जो देश की अर्थव्यवस्था का कम से कम 80 प्रतिशत हिस्सा रहा है। स्थानीय लोग न केवल तालिबान शासन के कठोर इस्लामी शासन से डर रहे हैं, बल्कि वे अपने परिवारों की भलाई और पालन-पोषण को लेकर भी सजग हैं, क्योंकि अब तापमान गिरने के साथ ही देश में भोजन, पानी और आश्रय की कमी से लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है। इसके अलावा अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी भी स्थानीय लोगों को तत्काल आधार पर देश छोड़ने के लिए मजबूर कर रही है।
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