समान नागरिक संहिता पर कानून बन जाएगा तो कोई माने या न माने, क्‍या फर्क पड़ता है : सुधांशु त्रिवेदी

News Nation Bureau 24 November 2020, 11:15 PM

इन मुद्दों पर बीजेपी प्रवक्‍ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानून होना चाहिए. यहां पर किसी को दिक्कत नहीं है लेकिन इस्लाम को ही क्यों दिक्कत होती है. आप बाकी कानूनों में तो सरिया की बात करते हैं लेकिन जब क्रिमिनल में इनसे बात की जाती है तो संविधान की बात करते हैं. आपको यहां पर भी सरिया कानून को मानना चाहिए जैसे कि अगर किसी और धर्म का कोई व्यक्ति चोरी करता है तो उसे 2 महीने की सजा होगी और आपके यहां उसके हाथ काट दिए जाएंगे. जब पार्लियामेंट कानून पारित ही कर देगा तो किसी के मानने न मानने से फर्क थोड़ी ही पड़ता है. आज तक मुसलमानों की सबसे बड़ी रैली कब हुई दिल्ली में, आपको मालूम है? वो तारीख थी 20 अप्रैल 1987. जब भारत की वर्तमान न्याय व्यवस्था नहीं थी तो पंचायती व्यवस्था में ठाकुरों का दबदबा था. वैसे ही कॉमन सिविल कोड लागू होने के बाद मौलवियों के पास और काजियों के पास जाएगा कौन?#UniformCivilCode #DeshKiBahas

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