पश्चिम बंगाल में प्रजातंत्र की हत्या हो रही है, CM के अंदर अहंकार : राज्यपाल
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी का नाम लिए बिना निशाना साधा. उन्होंने कहा, एक गवर्नर के तौर पर पहला काम है कि बंगाल में भय मुक्त चुनाव हो. जहां मैं बैठा हूं वहां पंचायत चुनाव में 2018 में क्या हुआ था प्रजातंत्र के लिए शर्म की बात है.
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी का नाम लिए बिना निशाना साधा. उन्होंने कहा, एक गवर्नर के तौर पर पहला काम है कि बंगाल में भय मुक्त चुनाव हो. जहां मैं बैठा हूं वहां पंचायत चुनाव में 2018 में क्या हुआ था प्रजातंत्र के लिए शर्म की बात है. उन्होंने कहा कि कभी इस बात की इजाजत नहीं दी सकती कि प्रजातांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने दिया जाए. राज्यपाल ने आगे कहा कि अगर भारत को समझना चाहते हैं तो विवेकानद को समझे टैगोर ने भी कहा था, टाइम है सकारात्मक सोचने का अपने ईगो से बाहर आ कर सेल्फ से ऊपर उठना चाहिए. साथ ही कहा कि प्रजातंत्र के मूल्य कमजोर पड़ रहे है.
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राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि बंगाल की जनता के प्रति एक संवैधानिक हेड होने की वजह से मेरी जिम्मेदारी है कि भय मुक्त चुनाव हो. तमाम लोग पुलिस के रिटायर लोग भी शामिल है, पुराने तौर तरीके को लागू करने है. उन्होंने कहा कि आगाह करना चाहता हूं कि केंद्रीय फ़ोर्स क्या कर सकती है?, उनको कल्पना नहीं है जो लोग सोचते है क्या होगा. अंतिम ताकत मेर पास रहेगा. राज्य किसी की जागीर नहीं है. राज्य संविधान और कानून से चलता है जहां भी इसका उलंघन होगा मेरा राइट है इसको देखना, जो मेरे अधिकार में है उसके तहत सुनिश्चित करूंगा.
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उन्होंने कहा कि दस दिसंबर को क्या हुआ सबको पता है. पुलिस किसके साथ खड़ी थी, आपका राज्यपाल आगाह कर है अधिकारियों को, लेकिन क्या हुआ.? मुख्य सचिव ने मुझसे कहा कि मैंने डीजीपी को बोला है, मैंने देखा हालात बेकाबू है तो मुख सचिव और डीजीपी को लिखा कि मुझे आप पर शर्म है कि क्या हुआ. राजनीति कैसे करता है मेरा मतलब नहीं है.
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जगदीप धनखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार से टकराव की वजह से बहुत नुकसान हो रहा है. बंगाल के 70 लाख किसानों को कोई लाभ नहीं मिला है. राज्य को 1 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि 35 हजार करोड़ से ज्यादा हिस्सा था. राज्य की मुख्यमंत्री को संविधान के तहत काम करना है वो भारत के नागरिक को बाहरी कैसे कह सकती है. कैसे वो किसी नागरिक खास तौर पर संविधानिक पद पर बैठे को बाहरी बोल सकती है.