वाराणसी: मोबाइल और इंटरनेट के दौर में खुला 'चिठ्ठी बैंक', मिलेगी पासबुक
आधुनिक जीवन में पुरानी चीजें या तो खो जाती है या फिर इतिहास के पन्नो में दर्ज हो जाती है ऐसी है चिठ्ठी।
वाराणसी:
आधुनिक जीवन में पुरानी चीजें या तो खो जाती है या फिर इतिहास के पन्नो में दर्ज हो जाती है ऐसी है चिठ्ठी।
दो दशक पहले तक चिठ्ठी का स्थान हर किसी के लिये बेहद खास था चाहे वो सूचना हो या किसी का हाल जानना हो या फिर सरकारी काम पर अब एसएमएस और इंटरनेट के कारण ये इतिहास के पन्नो में समा रहा है इसी को देखते हुए वाराणसी में एक अनोखा "चिठ्ठी बैंक" खोला गया है।
जिसके जरिये कोई भी अपने पुरानी चिठ्ठी को यहाँ मुफ्त में जमा करवा सकता है और उसे इसका पासबुक भी मिलेगा और वो जब चाहे अपनी चिठ्ठी को देख और पढ़ सकता है। इसके पीछे उद्देश्य है कि चिठ्ठी इतिहास के पन्नो में गुम न हो जाये और लोग भी अपनी चिठ्ठी सालों बाद भी पढ़कर अपने पुराने दिन और शख्स को याद कर पाये।
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अनोखा बैंक
इस बैंक में लोग अपनी पुरानी चिठ्ठियों को जमा करते है ताकि वो यहां सुरक्षित रहे और जब पुरानी यादों को ताजा करना हो या फिर कुछ अभिलेखों में इसकी जरूरत पड़े तो यहाँ से मिल सके। ये पहला ऐसा अनोखा बैंक है जो चिठ्ठियों के माध्यम से लोगों के भावनओं को भी संभाल कर रखेगा। इस चिठ्ठी बैंक खाता बही का काम संभालने वाली युवा छात्रा दीपाली भी कहती है, 'बैंक हमारे लिए एक ऐसी चीज सहेज रही है जिसकी कीमत अनमोल है।'
डॉ इरफ़ान अहमद
इस चिठ्ठी बैंक में पहले खाताधारक के रूप में पहुंचे डॉ इरफ़ान अहमद बताते है, 'मुझे जैसे ही इसकी जानकारी हुई वो अपनी चिठ्ठियों को संरक्षित करने यहाँ आ गए।'
उन्होंने बताया कि मोबाईल और इंटरनेट में एक समय के बाद सब खो जाता है पर चिट्टी ऐसी चीज है जो हमेशा रहती है और कागज़ में लिखे हुए शब्द आपको सालो पीछे आपके अतीत में ले जाते है इसमें जो भावनाए होती है वो और कही नहीं मिलता इसलिए वह यहाँ अपना खाता खुलवाने आये है ये बहुत अच्छी पहल है।
चिठ्ठी बैंक
वहीं युवा वर्ग भी मानता है की चिठ्ठी भले ही आधुनिकता के इस दौड़ में इतिहास का हिस्सा बन गया हो पर इसकी अपनी ही एक उपयोगिता है जज्बात जुड़े रहते है इनसे और आने वाली पीढ़ी इसे समझे और देखे इसके लिए ये चिठ्ठी बैंक बेहद उपयोगी है।