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चमोली जैसी आपदा से बचने के लिए ऋषिगंगा नदी में लगाए गए वॉटर लेवल सेंसर

एसडीआरएफ ने नदी के जलस्तर को लेकर भविष्य में सतर्क रहने के लिए वॉटर लेवल सेंसर और अलार्म सिस्टम लगाए हैं. ये सेंसर रैणी गांव के आसपास राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए लोगों को नदी का जलस्तर बढ़ने पर अलार्म बजाकर समय रहते अलर्ट कर देगा.

News Nation Bureau
| Edited By :
16 Feb 2021, 12:18:57 PM (IST)

highlights

  • रैणी गांव के पास ऋषिगंगा नदी में लगाए गए अलार्म सिस्टम
  • नदी का जलस्तर बढ़ने पर करेगा सूचित
  • राहत और बचाव कार्यों में जुटे लोगों को करेगा अलर्ट

चमोली:

उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) में ग्लेशियर (Glacier) टूटने के बाद आई त्रासदी में अभी तक 55 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. आपदा के बाद से अभी भी करीब 146 लोग लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है. तपोवन (Tapovan) में स्थित NTPC टनल में भी सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ 'मिशन जिंदगी' में जुटी हुई है लेकिन अभी तक टनल से एक भी शख्स जिंदा नहीं मिल पाया है. ताजा जानकारी के मुताबिक टनल से अभी तक कुल 23 लोगों के शव मिल चुके हैं. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आपदा के इतने दिन बीत जाने के बाद टनल में फंसे किसी भी व्यक्ति का जिंदा बचना बहुत मुश्किल है.

आपदा से प्रभावित हुए रैणी गांव के पास ऋषिगंगा नदी में वॉटर लेवल सेंसर और अलार्म सिस्टम लगाए गए हैं. बता दें कि एसडीआरएफ ने नदी के जलस्तर को लेकर भविष्य में सतर्क रहने के लिए वॉटर लेवल सेंसर और अलार्म सिस्टम लगाए हैं. ये सेंसर रैणी गांव के आसपास राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए लोगों को नदी का जलस्तर बढ़ने पर अलार्म बजाकर समय रहते अलर्ट कर देगा. बता दें कि आपदा के बाद से ही ऋषिगंगा नदी के पास भारतीय सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और बीआरओ के अधिकारी राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं.

चमोली आपदा के बाद तपोवन स्थित एनटीपीसी टनल में फंसे लोगों को बचाने की दिशा में अभी तक कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है. कई दिनों से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत टनल से अभी तक एक भी शख्स को जिंदा नहीं बचाया जा सका है. इसी बीच टनल से निकाले गए शवों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. शवों का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने कहा कि टनल से निकाले गए मृतकों के फेफड़ों में भारी मात्रा में कीचड़ और गाद मिली है. बताया जा रहा है कि गाद की वजह से फेफड़े तेजी से खराब हुए और सांस लेने में हुई दिक्कत की वजह से उनकी मौतें हुईं.