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हरक सिंह रावत की कांग्रेस में घर वापसी, BJP ने दिखाया था बाहर का रास्ता

हरक सिंह रावत के राजनीतिक करियर पर नजर डालें तो उन्होंने कई मौकों पर बगावती तेवर दिखाए हैं.

News Nation Bureau
| Edited By :
21 Jan 2022, 04:36:57 PM (IST)

देहरादून:

उत्तराखंड में पूर्व बीजेपी नेता हरक सिंह रावत आज कांग्रेस में शामिल हो गए. उनके साथ उनकी पुत्रवधु अनुकृति गुसांई रावत ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली. रावत को पिछले हफ्ते बीजेपी ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया दिया था. कुछ दिन पहले एक नाटकीय घटनाक्रम में रावत पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. उस दौरान रावत ने बीजेपी सरकार  पर आरोप लगाया था कि उनके क्षेत्र से जुड़े विकास कार्यों और उनके क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज की स्थापना में रोड़े अटकाये जा रहे हैं. इसके बाद बीजेपी आलाकमान के मनाने के बाद वह मान गये थे.

लेकिन कुछ दिनों बाद ही बीजेपी ने रावत को कांग्रेस के संपर्क में रहने के चलते पार्टी से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल होंगे. हालांकि, हरीश रावत के विरोध के चलते उनकी कांग्रेस में वापसी टल रही थी. कांग्रेस पार्टी का एक धड़ा हरक सिंह को पार्टी में शामिल करने के पक्ष में था. नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह से लेकर प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदिया का मानना है कि हरक सिंह रावत के पार्टी में शामिल होने से गढ़वाल क्षेत्र में कांग्रेस मजबूत होगी. हरक गढ़वाल की कई सीटों पर मजबूत पकड़ रखते हैं.

वहीं, कांग्रेस के प्रदेश चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश रावत के विरोध के चलते अभी तक वो कांग्रेस में एंट्री एक हफ्ते से टल रही थी. हरक का न केवल हरीश रावत बल्कि कांग्रेस के कई बड़े नेता और कार्यकर्ता लगातार विरोध कर रहे थे, उसकी वजह है 2016 में जिस तरह हरीश रावत की सरकार गिरी उसका सबसे बड़ा सूत्रधार हरक सिंह को ही माना जाता है.

हरक सिंह रावत के राजनीतिक करियर पर नजर डालें तो उन्होंने कई मौकों पर बगावती तेवर दिखाए हैं. 2016 में कांग्रेस को छोड़ ही उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था. लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद भी कई मौकों पर उनकी नेतृत्व से तकरार देखने को मिली. हाल ही में उन्हें बीजेपी से निकाला गया था. अब हरक सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस जॉइन कर ली है.

हरक सिंह उत्तराखंड के बड़े नेता माने जाते हैं. वे 2002 में उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से लगातार चार बार के विधायक हैं. उन्होंने 2002 में लैंसडाउन से चुनाव जीता था. वे 2007 में भी इसी सीट से विधानसभा पहुंचे थे. 2012 में वे रुद्रप्रयाग से चुनाव जीते. 2017 में हरक सिंह बीजेपी के टिकट से कोटद्वार से चुनाव जीते थे. वे उत्तराखंड सरकार में मंत्री भी रहे हैं.