.

बुनकरों ने बनारसी साड़ी पर उकेरी राम मंदिर की छटा, खरीदने से पहले जान लें कीमत

वाराणसी में बुनकरों ने बनारसी साड़ी पर राम मंदिर की प्रतिकृति उतारी है. रेशमी धागों से बनी इस साड़ी पर महीनों की कड़ी मेहनत के बाद राम मंदिर की छवि तैयार की गई है. 

News Nation Bureau
| Edited By :
29 Nov 2020, 08:33:45 PM (IST)

वाराणसी:

वाराणसी में बुनकरों ने बनारसी साड़ी पर राम मंदिर की प्रतिकृति उतारी है. रेशमी धागों से बनी इस साड़ी पर महीनों की कड़ी मेहनत के बाद राम मंदिर की छवि तैयार की गई है. बनारसी साड़ी पर राम मंदिर बुनकर के करघे पर बनाया गया है. तीन महीने की कड़ी मेहनत पर इस साड़ी को तैयार किया गया है. वाराणसी के बुनकरों ने बनारसी साड़ी पर राम मंदिर की छटा उकेर दी है. बुनकरों का कहना है कि राम मंदिर को बनाने के लिए दुर्लभ 'उचंत बिनकारी' का सहारा लिया गया है. आम बिनकारी में जहां करघे पर नक्शे के पत्तों के जरिये बिनाई होती है, लेकिन उचंत आर्ट या बिनकारी में बगैर नक्शे के पत्तों के बुनकर सीधे उसी तरह बिनकारी करता है.

जिस तरह से कोई पेंटर सामने तस्वीर रखकर पेंटिंग करता है. राम मंदिर की अद्भुत साड़ी में राम मंदिर के शिखर से लेकर पिलर, खंभों और दीवारों तक को हुबहू रेशमी धागों से उकेरा गया है. इस दुर्लभ उचंत बिनकारी को करने वाले गोपाल पटेल बताते हैं कि इस कला में जकाट और नक्शे के पत्ते का उपयोग नहीं होता. सिर्फ सुइयों को उठा उठाकर हथकरघे पर बिनाई होती है. साड़ी बनाने के लिए ढाई से तीन महीने रोजाना लगभग 8 घंटों तक बिनाई करनी पड़ी.

50 हजार की लागत से ये साड़ी तैयार हुई है. राम मंदिर की साड़ी को बनाने के लिए डिजाइन और कलर पर विशेष ध्यान दिया गया है. महिलायों के लिए साड़ी हमेशा से ही सबसे ज्यादा पसंदीदा रही है और उसके ऊपर से बनारसी साड़ी. जब उस पर राम मंदिर उकेरा हो तो उससे ज्यादा अच्छा और क्या हो सकता है. इसका उत्साह लड़कियों की आंखों में साफ नजर आ रहा है.