प्रयागराज: आज होगा महंत नरेंद्र गिरि का पोस्टमॉर्टम, 12 बजे दी जाएगी भू-समाधि
महंत नरेंद्र गिरि का शव प्रयागराज के उनके बाघंबरी मठ में ही फांसी के फंदे से लटकता मिला था. मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला. इसमें उन्होंने आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को उनकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
highlights
- सोमवार को संदिग्ध परिस्थिति में हुई थी नरेन्द्र गिरि की मौत
- योगी सरकार ने मामले की जांच के लिए गठित की एसआईटी
- बलवीर गिरि को बनाया गया नरेन्द्र गिरि का उत्तराधिकारी
प्रयागराज:
प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की सोमवार को संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई थी. बुधवार सुबह 8 बजे उनका पोस्टमार्टम किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक पोस्टरमार्टम के बाद दोपहर 12 बजे उन्हें बाघंबरी मठ के बगीचे में भूमि समाधि दी जाएगी. उन्होंने सुसाइड नोट में भी भूमि समाधि का जिक्र किया है. प्रदेश सरकार ने पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है. सुसाइड नोट में नरेन्द्र गिरि ने कई लोगों पर गंभीर आरोप भी लगाए थे.
बलवीर गिरि बने उत्तराधिकारी
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद बलवीर गिरि (Balbir Giri) को उनका उत्तराधिकारी बनाया गया है. वो तकरीबन 15 साल पुराने शिष्य हैं. महंत नरेंद्र गिरि ने बलबीर गिरि को हरिद्वार आश्रम का प्रभारी बनाया हुआ था. महंत नरेंद्र गिरी ने अपनी वसीयत में बलबीर गिरि को उत्तराधिकारी घोषित किया है. आनंद गिरि और बलवीर गिरि दोनों तकरीबन एक ही समय में महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य बने थे, लेकिन बलबीर गिरि सबसे प्रिय शिष्यों में एक थे.
आनंद गिरि के निष्कासन के बाद बलबीर गिरि ही नंबर दो की हैसियत रखते थे. सीएम योगी आदित्यनाथ के आने पर बलवीर गिरि ही उनके ठीक बगल में बैठे थे. अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद और पंच परमेश्वर ने भी मंगलवार को बलवीर गिरि को अपना आशीर्वाद दिया है. महंत नरेंद्र गिरि का अंतिम संस्कार होने के बाद बलबीर गिरि के नाम का औपचारिक ऐलान किया जाएगा.
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आपको बता दें कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के सोमवार शाम को कथित तौर पर आत्महत्या करने की घटना ने कई सवालों को जन्म दे दिया है. आत्महत्या से भी कहीं अधिक उनके द्वारा छोड़े गए कथित सुसाइड नोट ने कुछ अनुत्तरित सवाल पीछे छोड़ दिए हैं, जिनके उत्तर तलाशना जरूरी है. लगभग 6 पृष्ठों के सामने आ रहे सुसाइड नोट से पता चलता है कि महंत बहुत परेशान थे, लेकिन यह नोट स्पष्ट रूप से उन घटनाओं का उल्लेख नहीं करता है, जिन्होंने उन्हें यह चरम कदम उठाने के लिए प्रेरित किया.
पुलिस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुसाइड नोट का खुलासा करने में बेहद सतर्कता बरत रही है. इसके अलावा, नोट की सत्यता पर भी सवाल उठाया गया है, क्योंकि संत के करीबी लोगों ने कहा है कि वह एक या दो वाक्य से आगे लिखने में माहिर नहीं थे. यहां तक कि आरोपी आनंद गिरी ने भी कहा है कि उन्हें फंसाने के लिए सुसाइड नोट छोड़ा गया है.