इस धार्मिक संगठन की चाहत, यहां की बेटियों के लिए भी बने 'तालिबानी रूल'
. जमीयत उलेमा ने कहा कि मुस्लिम लड़कियां अपना धर्म छोड़ रही है. उन्हें धर्म का ज्ञान नहीं है. उनके लिए अलग शिक्षा संस्थान खोलने की जरूरत है.
highlights
- मौलाना अरशद मदनी ने कहा मुस्लिम महिलाएं छोड़ रही धर्म
- मुस्लिम महिलाओं के शिक्षा के लिए अलग संस्थान होने चाहिए
नई दिल्ली :
अफगानिस्तान में अगर कोई वर्ग सबसे ज्यादा डरा हुआ है तो वो महिला है. तालिबान के आने से उनकी आजादी अब कैद होकर रह जाएगी. उनकी शिक्षा पर पाबंदी लग जाएगी. वो घर से बाहर काम पर नहीं जा सकती. मुस्लिम महिलाओं पर पहेरदारी अमूमन हर जगह धर्म के ठेकेदारों ने लगा रखा है. भारत में भी कुछ संगठन आए दिन मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ फतवा जारी करते रहते हैं. इन धार्मिक संगठनों को डर है कि कहीं उनकी बेटियां इस धर्म को छोड़कर किसी और धर्म में ना चली जाए. इस संगठन में से एक है जमीयत उलेमा ए हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind). जमीयत उलेमा ने कहा कि मुस्लिम लड़कियां अपना धर्म छोड़ रही है.
धार्मिक संगठन ने अपने बयान में कहा कि कुछ गैर मुस्लिम लड़के मुस्लिम लड़कियों से संगठित तौर पर शादी कर रहे हैं, और इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. इसके साथ ही जमीयत उलेमा ए हिंद ने कहा कि मुसलमानों को लड़कियों के लिए अलग शिक्षा संस्थान खोलना चाहिए जहां उन्हें धार्मिक शिक्षा भी दी जाए. वो इसी लिए अपने धर्म को छोड़ रही है क्योंकि उन्हें धर्म के बारे में बता नहीं है.
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जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुस्लिम लड़कियां बड़ी संख्या में दूसरे धर्म को स्वीकार कर रही है. मदनी ने गैर मुस्लिम संस्थाओं से भी कहा है कि वो लड़कियों के लिए अलग शिक्षा संस्थान बनाएं.
हिंदू-मुस्लिम एकता के दुश्मन दोनों तरफ हैं. एक तरफ हिंदू का लव जिहाद को लेकर बयान आता है तो दूसरी तरफ मुस्लिमों के धार्मिक संगठन हिंदुओं के लड़कों पर आरोप लगाते हैं. इन दोनों के बीच अगर कोई पीसती हैं तो वो महिलाएं हैं.
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मौलाना के इस बयान के बाद सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है. यूपी के उपमुख्यमंत्री सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि ये लोग मुस्लिम तुष्टीकरण करते हैं. हमारे यहां बेटी और बेटा एक समान हैं. ऐसे लोगों को जनता माफ नहीं करेगी.