यूपी विधानसभा में मिला सफेद पाउडर PETN विस्फोटक ही था, योगी सरकार ने मीडिया रिपोर्ट्स को किया खारिज
उत्तर प्रदेश विधानसभा में मिले विस्फोटक पर मीडिया द्वारा सवाल खड़ा किये जाने के बाद राज्य के मुख्य गृह सचिव ने सफाई दी है। गृह सचिव ने कहा कि विस्फोटक को आगरा स्थित लैब में भेजा ही नहीं गया था।
highlights
- मीडिया रिपोर्ट्स को योगी सरकार ने किया खारिज, कहा- आगरा नहीं भेजा गया था
- आगरा लैब के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स का दावा- UP विधानसभा में मिला सफेद रंग का पाउडर विस्फोटक नहीं था
- सरकार ने कहा, आगरा में टेस्टिंग के लिए कोई पदार्थ नहीं भेजा गया था क्योंकि उनके पास टेस्ट करने के लिए पर्याप्त मशीनें, आदि नहीं हैं
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश विधानसभा में मिले विस्फोटक पर मीडिया द्वारा सवाल खड़ा किये जाने के बाद राज्य के मुख्य गृह सचिव ने सफाई दी है। गृह सचिव ने कहा कि विस्फोटक को आगरा स्थित लैब में भेजा ही नहीं गया था।
आपको बता दें की मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि आगरा स्थित लैब की जांच में पता चला है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में मिला सफेद रंग का पाउडर विस्फोटक नहीं था।
मुख्य गृह सचिव ने कहा, 'मीडिया में रिपोर्ट्स हैं कि विधानसभा में पाया गया पदार्थ एफएसएल आगरा में टेस्ट करने पर PETN नहीं निकला। यह साफ किया जाता है कि आगरा में टेस्टिंग के लिए कोई पदार्थ नहीं भेजा गया था क्योंकि उनके पास टेस्ट करने के लिए पर्याप्त मशीनें, आदि नहीं हैं।'
उन्होंने कहा कि 14 जुलाई को लखनऊ फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में बताया गया है कि जो पदार्थ मिला है वह पानी में आसानी से घुल सकता है। मुख्य गृह सचिव ने इस बात की जानकारी भी दी कि फिलहाल लखनऊ SFSL में पदार्थ को लेकर दो टेस्ट इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम, गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रम हो रहे हैं जिनकी रिपोर्ट्स गुरुवार तक आएगी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का सत्र चलने के दौरान पिछले हफ्ते गुरुवार को सदन में सफेद रंग के संदिग्ध पाउडर की एक पोटली मिलने से हड़कंप मच गया। 150 ग्राम वजन की यह पोटली सदन में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी की कुर्सी से कुछ दूरी पर मिली। उसे जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा गया। जांच में पता चला कि वह शक्तिशाली विस्फोटक पीईटीएन था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में शक्तिशाली विस्फोटक को आतंकवादी साजिश का हिस्सा करार देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि इसकी जांच नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) से कराई जाएगी।
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