अब प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा इलाहाबाद, योगी कैबिनेट ने दी मंजूरी
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया है.
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया है. अब प्रयागराज के नाम से इलाहाबाद को जाना जाएगा. इस फैसले पर आज यूपी कैबिनेट ने मुहर लगा दी है. इसके अलावा भी अन्य कई महात्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. कैबिनेट के बाद यह जानकारी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने दी.
कुंभ से पहले बदला इलाहाबाद का नाम
उत्तर प्रदेश सरकार ने कुंभ से पहले इलाहाबाद का नाम बदल कर प्रयागराज कर दिया है. सरकार ने कहा है कि वह कुंभ के आयोजन से पहले ही प्रयागराज नाम को फिर से लिखने और अपनाने के लिए सभी विभागों, शिक्षण संस्थानों समेत अन्य संस्थाओं को पत्र भेजेगी.
कैबिनेट के अन्य प्रस्ताव
1. जनपद ललितपुर में तहसील पाली एवं सदर के परिसीमन से संबंधित प्रस्ताव पर लगी मुहर .
2. दुग्ध उत्पादक किसानों के लिए नंदबाबा पुरुस्कार योजना के प्रस्ताव पर लगी मुहर .
-1500 लीटर की कम से कम आपूर्ति करने वाले दुग्ध उत्पादक किसानों के प्रोत्साहन के लिए शुरू किए जाएंगे पुरुस्कार .
-51 हजार राज्य स्तर, 21 हजार जिला स्तर, 5100 ब्लॉक स्तर पर पुरुस्कार राशि दी जाएगी .
3. 7 नए मेडीकल कॉलेज के बजट से संबंधित प्रस्ताव पर लगी मुहर.
यूपी सरकार ने इसके लिए जिले के हिसाब से बजट तय कर दिया है.
-एटा 216.58 करोड़
-देवरिया 206.90 करोड़
-फतेहपुर 212.50 करोड़
-गाजीपुर 220.45 करोड़
-हरदोई 206.33 करोड़
-प्रतापगढ़ 213 करोड़
-सिद्धार्थनगर 245.11 करोड़
4. खांडसारी लाइसेंस संशोधन प्रस्ताव पर लगी मुहर .
444 साल बाद बदला नाम
इलाहाबाद का नाम 444 साल बाद फिर से प्रयागराज हुआ है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने इसकी घोषणा की है.
कब बदला था नाम
अकबरनामा और आईने अकबरी व अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से ज्ञात होता है कि अकबर ने सन 1574 के आसपास प्रयागराज में किले की नींव रखी. उसने यहां नया नगर बसाया जिसका नाम उसने इलाहाबाद रखा. उसके पहले तक इसे प्रयागराज के ही नाम से जाना जाता था.
पौराणिक महत्व
रामचरित मानस में इसे प्रयागराज ही कहा गया है. इस बात का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है. वन जाते समय श्रीराम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे. भगवान श्रीराम जब श्रृंग्वेरपुर पहुंचे तो वहां प्रयागराज का ही जिक्र आया. सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक पुराण मत्स्य पुराण के 102 अध्याय से लेकर 107 अध्याय तक में इस तीर्थ के महात्म्य का वर्णन है. उसमें लिखा है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती हैं.