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लखनऊ से दूर एक गांव में जन्म लेते हैं सिर्फ IAS या IPS ऑफिसर, वजह जान कर रह जाएंगे आप हैरान

लखनऊ से 240 किलोमीटर दूर पूरब दिशा में एक गांव है जहाँ हर कोई आईएएस (IPS) और आईपीएस (IAS) ही बनना चाहता है. इसलिए पूरे जिले में इसे अफसरों का गांव कहते हैं.

News Nation Bureau
| Edited By :
30 Sep 2021, 04:11:26 PM (IST)

New Delhi:

लखनऊ से 240 किलोमीटर दूर पूरब दिशा में एक गांव है, जिसका नाम है माधोपट्टी, जहां हर कोई आईएएस और आईपीएस (IAS-IPS) ही बनना चाहता है.  इसी कारण पूरे जिले में इसे अफसरों वाला गांव कहते हैं.  बता दें कि इस गांव में 75 घर हैं और हर घर से एक आईएएस अधिकारी है. अभी तक उत्तर प्रदेश समेत आसपास के राज्यों में सेवारत गांव से 47 आईएएस अधिकारियों की भर्ती की जा चुकी है. कहा जाता है कि गांव के युवकों में प्रतियोगी परिक्षाओं में आने की होड़ अंग्रेजों के जमाने से ही शुरू हो गई थी. 1914 में गांव के युवक मुस्तफा हुसैन पीसीएस में चयनित हुए थे. 

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इसके बाद 1952 में इन्दू प्रकाश सिंह का आईएएस की 13वीं रैंक में चयन हुआ. इन्दू प्रकाश के चयन के बाद गांव के युवाओं में आईएएस- पीसीएस के लिए होड़ मच गई. इन्दू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित कई देशों में भारत के राजदूत रहे. इस गांव की महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. गांव से जुड़ीं उषा सिंह आईएएस अफसर बनीं.  इस गांव के बच्चे भी कई गतिविधियों में आगे रहते है. अमित पांडे महज 22 साल के हैं और उनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. गांव के अनमजय सिंह वर्ल्ड बैंक मनीला में हैं, और ज्ञानु मिश्रा राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान यानी इसरो में सेवारत हैं.

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इस गांव में लगभग हर किसी का सपना अफसर बनने का ही होता है. डॉ सजल सिंह के अनुसार मुर्तजा हुसैन के ब्रिटिश सरकार के कमिश्नर बनने के बाद गांव में लोग प्रेरित हुए. सजल सिंह का कहना है कि हमारे गांव में शिक्षा की दर बहुत अधिक है और सभी ने स्नातक किया है.