कर्नाटक में बीजेपी ने कुमारस्वामी से लिया बदला, सालों पहले ऐसे दिया था धोखा
साल 2004 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कुल 224 सीटों में से बीजेपी के खाते में 79 सीटें आई थी. वहीं कांग्रेस 65, जेडीएस 58 और अन्य को 23 सीटें मिली थी.इस तरह 2004 में भी किसी भी राजनीतिक पार्टी को इतनी सीटें नहीं मिली थी कि वो बहुमत की सरकार बना सके. ऐसे में कांग्रेस ने जेडीएस के साथ गठबंधन की सरकार बनाई और कांग्रेस के धरमसिंह को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन ये सरकार ज्याद दिन तक नहीं चल सकी.
नई दिल्ली:
कई हफ्तों से चला आ रहा कार्नाटक का सियासी नाटक आखिरकार मंगलवार को थम ही गया. विश्वास प्रस्ताव पर चार दिनों की बहस के बाद कर्नाटक में एच. डी. कुमारस्वामी की सरकार गिर गई है. विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के नेतृत्व में कांग्रेस व जनता दल सेक्युलर (JD (S)) की गठबंधन सरकार विश्वास मत हासिल नहीं कर सकी. 225 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत के लिए 20 विधायक सदन में उपस्थित नहीं हुए थे.
और पढ़ें: कर्नाटक: बागी विधायकों ने पेश होने के लिए विधानसभा स्पीकर से 4 सप्ताह का समय मांगा
विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के. आर. रमेश कुमार ने विश्वास मत के बाद सदन के सदस्यों को बताया कि मुख्यमंत्री एच. डी. कुमार स्वामी विश्वास मत हासिल नहीं कर सके. उन्होंने बताया कि विश्वास मत के पक्ष में 99 जबकि इसके खिलाफ 105 मत पड़े हैं.
कहते है इतिहास जरूर दोहराता है ठीक ऐसा ही एचडी कुमार स्वामी के साथ भी हुआ. सालों पहले कुमार स्वामी ने जो किया वहीं हालात आज उनके सामने भी आ खड़े हुए. साल 2004 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कुल 224 सीटों में से बीजेपी के खाते में 79 सीटें आई थी. वहीं कांग्रेस 65, जेडीएस 58 और अन्य को 23 सीटें मिली थी. इस तरह 2004 में भी किसी भी राजनीतिक पार्टी को इतनी सीटें नहीं मिली थी कि वो बहुमत की सरकार बना सके. ऐसे में कांग्रेस ने जेडीएस के साथ गठबंधन की सरकार बनाई और कांग्रेस के धरमसिंह को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन ये सरकार ज्याद दिन तक नहीं चल सकी.
और पढ़ें: आने वाले दिनों में BJP को भारी पड़ेगा यह खेल, कर्नाटक में सरकार गिरने के बाद बोले अशोक गहलोत
दरअसल, साल 2004 में कुमारस्वामी ने कांग्रेस को दगा देते हुए अपने विधायकों के साथ समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद धरमसिंह की सरकार धाराशायी हो गई थी. उस समय भी राज्य में इसी तरह की सियासी उठा-पटक देखने को मिला था जैसे अभी पिछले कुछ दिनों में कर्नाटक में चल रहा था.
कांग्रेस का हाथ छोड़ने के बाद कुमारस्वामी ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया था. इसके बाद राज्यपाल ने जेडीएस को सरकार बनाने का आमंत्रण दिया था. बीजेपी और जेडीएस के बीच तय किया गया कि दोनों पार्टीयों के नेता बारी-बारी राज्य के मुख्मंत्री बनेंगे. बाद में साल 2006 में बीजेपी के समर्थन से एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बनाए गए.
कुमारस्वामी ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया और जब बीजेपी को सत्ता सौंपने का समय आया तो उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया.साथ ही कुमारस्वामी ने बाद में 10 नवंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद राज्यपाल को कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा था.
ये भी पढ़ें: फ्लोर टेस्ट की गजब कहानी: कोई एक दिन का सीएम तो कहीं सरकार एक वोट से गिरी
कुमारस्वामी के इस्तीफा के बाद दो दिन तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा और फिर बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया. 12 नंबवर 2007 को बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी, जिसे कुमारस्वामी ने बाहर से समर्थन दिया. हालांकि, सात दिन के बाद ही कुमारस्वामी ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसकी वजह से येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा.
कर्नाटक में 2018 विधानसभा चुनाव के बाद गठबंधन की सरकार बनी था. तभी से वहां राजनीतिक संकट बरकरार है. सरकार के 16 विधायक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. गठबंधन में कुल 116 विधायक थे. जिसमें कांग्रेस के 78, जद(एस) के 37 और बसपा के 1).