CM गहलोत के करीबी रहे राजेंद्र गुढ़ा शिवसेना में हुए शामिल, एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में ली सदस्यता
दावा किया था कि डायरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काले करानामों की पूरी सूची है. हालांकि, उन्हें सदन से बाहर कर दिया गया था. गुढ़ा ने कहा था कि कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों ने उनसे वो डायरी छीन ली.
नई दिल्ली:
पिछले दो महीने पहले राजस्थान की राजनीति में भूचाल लाने वाले गहलोत कैबिनेट से बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने आखिरकार शिवसेना ज्वाइन कर लिया. गुढ़ा ने एकनाथ शिंदे गुट का दामन थामा है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुढ़ा को अपनी पार्टी की सदस्यता दिलाई है. राजेंद्र गुढ़ा विधानसभा में लाल डायरी दिखाकर सुर्खियों में आए थे, हालांकि उन्हें इस घटना के बाद मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था. बता दें कि राजस्थान सरकार की कैबिनेट से बर्खास्त होने के बाद राजेंद्र गुढ़ा 24 जुलाई को एक 'लाल डायरी' लेकर विधानसभा पहुंचे थे. दावा किया था कि डायरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काले करानामों की पूरी सूची है. हालांकि, उन्हें सदन से बाहर कर दिया गया था. गुढ़ा ने कहा था कि कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों ने उनसे वो डायरी छीन ली. ये भी कहा था कि उनके पास डायरी का दूसरा हिस्सा भी है.
मणिपुर पर अपनी ही सरकार पर खड़े किए थे सवाल
राजेंद्र गुढ़ा को मणिपुर पर कांग्रेस के खिलाफ बयान देने पर उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था. 21 जुलाई को विधानसभा में कांग्रेस नेता BJP से मणिपुर की घटना पर सवाल पूछा था. उसी समय राजेंद्र गुढ़ा ने कहा था कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि हम महिलाओं की सुरक्षा में असफल हो गए. राजस्थान में जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं, हमें मणिपुर की जगह अपने राज्य की स्थिति देखनी चाहिए. इसके बाद गुढ़ा को कांग्रेस ने मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया.
कौन हैं राजेंद्र गुढ़ा?
राजस्थान के झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी से राजेंद्र गुढ़ा विधायक हैं. उन्होंने अपने नाम के साथ अपने गांव का नाम भी जोड़ लिया उनके गांव का नाम गांव है. और इस तरह उनका नाम हो गया राजेंद्र गुढ़ा. राजेंद्र गुढ़ा 2018 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए थे. इसके बाद अपने विधायकों के साथ वह कांग्रेस में शामिल हो गए. एक वक्त था जब राजेंद्र गुढ़ा सीएम गहलोत के साथ कंधा से कंधा मिलकर रहा करते थे. 2020 में सचिन पायलट जब अपने समर्थक विधायकों के साथ हरियाणा के मानेसर चले गए थे, तब सीएम गहलोत के साथ वह डटकर खड़े थे. इसी को देखते हुए सीएम गहलोत ने उन्हें मंत्री भी बनाया था. लेकिन समय के साथ गुढ़ा और गहलोत के बीच दूरियां बढ़ने लगी. राजेंद्र गुढ़ा सचिन पायलट के समर्थन में आ गए और गहलोत के खिलाफ बयान देने लगे.