पंजाब में बड़े बादल के बाद SIT ने छोटे बादल से 4 घंटे तक पूछे ये सवाल
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के मुखिया प्रकाश सिंह बादल से पूछताछ के बाद पंजाब में 2015 कोटकपुरा पुलिस फायरिंग मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शनिवार को उनके बेटे और पार्टी शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से चार घंटे के लिए पूछताछ की.
चंडीगढ़:
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के मुखिया प्रकाश सिंह बादल से पूछताछ के बाद पंजाब में 2015 कोटकपुरा पुलिस फायरिंग मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शनिवार को उनके बेटे और पार्टी शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) से चार घंटे के लिए पूछताछ की. सुखबीर उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री भी थे, जब 2015 में फरीदकोट में एक धार्मिक पाठ की बेअदबी और उसके बाद पुलिस फायरिंग की घटनाएं हुई थीं. एसआईटी टीम का नेतृत्व एडीजीपी एल.के. यादव ने पूर्व उपमुख्यमंत्री से पूछताछ की. इस सप्ताह की शुरुआत में एसआईटी ने पांच बार मुख्यमंत्री रहे बादल से यहां उनके आवास पर तीन घंटे तक पूछताछ की.
बादल पंजाब के मुख्यमंत्री थे, जब पुलिस ने 14 अक्टूबर, 2015 को प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई थी, जिसमें फरीदकोट जिले के बरगारी गांव में गुरु ग्रंथ साहिब की कथित अपवित्रता के बाद दो लोगों की मौत हो गई थी और अन्य घायल हो गए थे.
एसआईटी को यह पता लगाना है कि गोली चलाने का आदेश किसने दिया, क्या पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई और क्या मानक संचालन प्रक्रिया का पालन किया गया था. 9 अप्रैल को हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने नई एसआईटी का गठन किया है.
सुखबीर के सवाल के जवाब में, पार्टी अध्यक्ष के प्रधान सलाहकार हरचरण बैंस ने कहा कि कोटकपूरा फायरिंग दुनिया की एकमात्र घटना होनी चाहिए, जहां एसआईटी जानना चाहती है कि संबंधित सक्षम प्राधिकारी के बाद फायरिंग का आदेश किसने दिया, एसडीएम ने पहले ही घोषित कर दिया है कि उसने इसका आदेश दिया था.
उन्होंने कहा कि यह ऐसा है जैसे एसआईटी एसडीएम से कह रही है कि कृपया यह ना कहें कि आपने इसे आदेश दिया है. हम इसे किसी और पर दोष देना चाहते हैं. मामले में एक पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी कुंवर विजय प्रताप, जो गुरु ग्रंथ साहिब के अपमान के बाद पुलिस फायरिंग की जांच कर रहे थे, इस सप्ताह आम आदमी पार्टी (आप) में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति में शामिल हो गए. राजनीति में आने के बाद विजय प्रताप ने बेअदबी मामले के आरोपियों पर राज्य सरकार को हुक्म चलाने का आरोप लगाया.