असम के सीमा वीरों की सुबह, दौड़ से खून में उबाल
बीएसएफ की सिखलाई में सबसे पहले खून में उबाल लाना जरूरी है। रगों में दौड़ते हुए खून को इस दौड़ के जरिए और ज्यादा गति दी जाती है। जिससे वार्म अप भी होता है और पूरे दिन के लिए चुस्ती और जोश बन जाता है।
नई दिल्ली:
बीएसएफ की सिखलाई में सबसे पहले खून में उबाल लाना जरूरी है। रगों में दौड़ते हुए खून को इस दौड़ के जरिए और ज्यादा गति दी जाती है। जिससे वार्म अप भी होता है और पूरे दिन के लिए चुस्ती और जोश बन जाता है। बाधा किसी भी कमांडो के लिए हडल पार करना सबसे महत्वपूर्ण सिखलाई है। बीएसएफ के कमांडो को पूर्वोत्तर भारत में पहाड़ चढ़ना पड़ता है, लिहाजा रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ना ,बेल के सहारे लटकना और हाथों के दम से वापस उतरना सब कुछ सिखाया जा रहा है।
भूगोल के अनुसार जंप
पूर्वोत्तर भारत में पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण कई बार छोटे छोटे नालों को कूदकर पार करना पड़ता है। यह बरसाती नाले भौगोलिक अड़चन पैदा करते हैं, जिन्हें बीएसएफ के सीमा प्रहरी लॉन्ग जंप की सिखलाई से पार करते हैं।
साथ हा तेजी से पहाड़ चढ़ने और उतरने के लिए एक पल में 6 फुट ऊंची दीवार को पार करना भी सिखाया जाता है, ताकि यहां की भौगोलिक संरचना के अनुरूप ट्रेनिंग पूरी हो सके।
साथी बचाओ कार्यवाही
बांग्लादेश बॉर्डर भले ही फ्रेंडली बॉर्डर कहा जाता है, लेकिन इन सीमाओं पर तस्कर और घुसपैठ के अलावा प्राकृतिक चुनौतियां भी है। बीएसएफ का कोई सीमा प्रहरी घायल हो सकता है। जंगली जानवर के संघर्ष का शिकार या फिर सांप के काटने की स्थिति भी बहुत बार सामने आती है। ऐसी परिस्थिति में बहुत तेज गति से अपनी पीठ पर साथी घायल या मूर्छित जवान को कई किलोमीटर दूर बॉर्डर आउटपोस्ट तक सैनिक इसी तरह से इलाज के लिए जाते हैं, जहां उन्हें फर्स्ट एड दिया जा सकता है।
तीन तरह की शूटिंग
अलग-अलग परिस्थिति में अलग-अलग तरह के हथियारों का प्रयोग सिखाया जाता है ,जिसमें एके-47 असाल्ट राइफल, डीआरडीओ द्वारा निर्मित स्वदेशी इंसास असाल्ट राइफल द्वारा लेट कर और खड़े होकर, दौड़ते हुए गोलियां चलाना और इटली द्वारा निर्मित अत्याधुनिक बैरेटा राइफल की शूटिंग ट्रेनिंग भी दी जाती है।
अमृत महोत्सव पर राष्ट्रीय सलाम
अटारी-वाघा बॉर्डर पर बहुत बार आपने भारत के तिरंगे को बीएसएफ के जवानों द्वारा राष्ट्रीय सलाम देते हुए देखा होगा, उसकी ट्रेनिंग भी इसी तरह के सेंटर में होती है। जहां राष्ट्रीय सलाम चुस्त-दुरुस्त कदमताल और ध्वनि के साथ बीएसएफ के जवान अमृत महोत्सव के लिए तैयारी कर रहे हैं।